ऊँक नै लगा सकै छै तोँ।
रामरीत पासवानक मुइला पछाति, भरि गामक लोक ओकर अंगनासँ दुरा धरि सोहरल छल। विधवाकेँ सांत्वना देवाक लेल।
मुदा, ओकर दियाद वादकेँ लगलै कठाइन।
दरअसल, मालिक मुक्तारक ई भीड़ तऽ जुटल रहै बजरंगीक सहयोगमे।
बजरंगी, रामरीतक छोट भाए, मालिक–मुक्तारक पाछु चटुआ आ अखनुक वार्ड सदस्य।
ओ भैयारी निभेवाक नै, घरारी हड़पवाक फेरमे छल, किएक तऽ रामरीतकेँ बेटा नै छलै।
ओकर नजरि रहै रामरीतक छः कट्ठा घरारीपर तेँ सभकेँ जुटा लेने छल, गवाहक रूपमे, भविष्यक लेल। आ लहास उठेवासँ पहिने फरमान सुना देने छल–‘आगि जे देतै आ श्राद्ध जे करतै, घरारीक अधिकारी तऽ उएह ने हेतै।
समवेत स्वीकृतिये मुड़ी डोलल छल–हँ.....।
चलु–चलु लहास उठवै जाऊ, बेशी विलम्ब नीक नै।
बजरंगी, कोहा उठावऽ।
नै, किन्नहुँ नै। विधवाक आक्रोशक स्वरकेँ सुनि सभ शांत भऽ गेल।
मंजुला, कोहा उठा आ आगि ले। अपन पिताक हृदयक एक मात्र टुकड़ी अछि ओ। आगि उएह देत।
ठीक छै, चलु.....।
मुखाग्नि हमही देब पिता हमर छथि, हुनक अंश हमारा छी, बजरंगी कक्का तऽ हुनक सम्बन्धी मात्र छथिन।
ईह....., जेना रामरीतक बेटा रहथिन, अधिकार जताबऽ एलीहे। दबल स्वर भीड़क बीचमे सँ सुनएल।
बेटा नै छी तेँ कि, हमारा तऽ हुनके रक्तबीचक पदार्पण छी। ओ निपुत्र छथि, मुदा निःसंतान नै।
आई सँ अही रेवाजक शुरूआत बुझू।
आ संग के देतौ?
निपुतराहा सभ।
बड्ड नीक कथा। मैथिल आर मिथिलामे स्वागत अचि मुन्नाजी।
जवाब देंहटाएंutkrishta katha
जवाब देंहटाएंadbhut
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