रुबाइ/ कता/ दर्द- ए-दिल मैथिली शायरी...

(१) हमर कहानी हमर खिस्सा छी अहाँ,
हमर साँस हमर दुनियाँ छी अहाँ,
अहाँ कें कोना हम बिसैर जाऊ,
हमर हरेक साँसक हिस्सा छी अहाँ!

(२) नोरक लिखाबट कें अहाँ पैढ़ नै सकब,
भिजल कागज पर अहाँ लिख नै सकब,
याद आयब हम अहाँ कें बहुत,
जखन बिसैर कs हमरा अहाँ पाइब नै सकब!

(३) प्रित अहाँक पहचान छी हमर,
स्नेह अहाँक शान छी हमर,
जुदा भs कें अहाँ सँ कोना हम जियब,
अहाँतें अंतिम साँस तक प्राण छी हमर!

(४)
किए ऐना बर्बाद करै छी,
नै हमरा सँ बात करै छी,
प्रित मे हमरा अहाँ,
नै हमरा अहाँ याद करै छी!

(५) खोजब अहाँ तें कियो मिल जेता,
मुदा हमरा जोका अहाँकें के सतेता,
मानलों कमी नै अछि अहाँकें संगतुरियाक,
मुदा "जितू" कें जगह कियो कोना लs लेता!

5 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. स्नेहक ओ डोर, जे पकरने हम चलैत गेलौ
    मजधार में नौका जककर सहारे हम पहुचेलौ
    मिसिया के आब बांकी अछि आश ओकरे पर
    मशान पूजक स आव स्वयं मशान बनी गेलौ.

    ओक्कर गीतमे सव दिन शब्द हमरे छल
    आई श्रोतो में नाम कतौ अप्पन नई पय्लौ
    मिसिया के आब बांकी अछि आश ओकरे पर
    मशान पूजक स आव स्वयं मशान बनी गेलौ.

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  2. maithili men itni sunder kavita bahut dinon baad padhne ko mili.

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