रुबाइ- आशीष अनचिन्हार

जखन हुनकर घोघ उठेलहुँ सच मानू
आँखिक निशा सँ मतेलहुँ सच मानू
हुनक रूप भमर जाल लगैए हमरा
तैओ हुनके सँ नेह लगेलहुँ सच मानू

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मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. जखन हुनकर घोघ उठेलहुँ सच मानू


    आँखिक निशा सँ मतेलहुँ सच मानू

    हुनक रूप भमर जाल लगैए हमरा

    तैओ हुनके सँ नेह लगेलहुँ सच मानू

    neek

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