समय
भोर , दुपहरिया आ सांझ
दिन बीत जायत अछि
जिनगी कर दिन देखैत - देखैत
लाली - लालीसँ लाल कनिया
आ
लाल कनियाँ सँ
लाल दाइ बनी जायत अछि
रुकयत कहाँ अछि
समय भागल जायत अछि
टिक टिक चल पर
आ
जखन समय नहीं रुकयत अछि
तन हम कीयक रुकी
आव आगा बढू
आ निर्माण करू
एक सभ्य सुसंस्कृत समाज के
- नवीन नवेंदु
neek kavita lagal, svagat
जवाब देंहटाएंneek kavita ,नवीन नवेंदु ji kavita jari rahay
जवाब देंहटाएंजखन समय नहीं रुकयत अछि
तन हम कीयक रुकी
आव आगा बढू
आ निर्माण करू
एक सभ्य सुसंस्कृत समाज के
bad neek prastuti
जवाब देंहटाएंbhavpravan kavita
जवाब देंहटाएंsundar
जवाब देंहटाएंसमय
भोर , दुपहरिया आ सांझ
दिन बीत जायत अछि
जिनगी कर दिन देखैत - देखैत
लाली - लालीसँ लाल कनिया
आ
लाल कनियाँ सँ
लाल दाइ बनी जायत अछि
रुकयत कहाँ अछि
समय भागल जायत अछि
टिक टिक चल पर
आ
जखन समय नहीं रुकयत अछि
तन हम कीयक रुकी
आव आगा बढू
आ निर्माण करू
एक सभ्य सुसंस्कृत समाज के
neek kavita
जवाब देंहटाएंneek kavita, ehina nav-nav lekhkak prastuti aybak chahi
जवाब देंहटाएंविलक्षण
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