दशहरा विशेष : नवरात्रि के दसम दिन किएक मनाओल जायत अछि दशहरा, की अछि ऐहिक पौराणिक कथा

मुंबई। 29 सितम्बर। [जितमोहन झा (जितू)] हिंदू धर्म केर मुताविक दशहरा अश्विन माह के पूर्णिमा क' मनाओल जायत अछि। जे एहि बरख कैल्हि 30 सितम्बर शनिदिन अछि। दशहरा पूरा देश म' बहुत उत्साह के संग मनाओल जायत अछि। हर राज्य म' दशहरा अलग - अलग पारंपरिक रीति-रिवाजक संग मनेबाक प्रथा अछि। दशहरा नौ दिनक दुर्गा पूजा समारोह केर समाप्तिक प्रतीक अछि। एहि दौरान देवी दुर्गा आओर देवी चामुंडेश्वरी केर पूजा कायल जायत अछि, देवी दुर्गा आओर देवी चामुंडेश्वरी माता लोग सभक रक्षा के लेल असुर सभक सेना क' चामुंडा केर पहाड़ी म' युद्ध करि पराजित केना रहथिन। इस दौरान देवी दुर्गाक संगे देवी लक्ष्मी, देवी सरस्वती, भगवान गणेश आओर कार्तिकेय के पूजा सेहो कायल जायत अछि। 

दशहरा पावनिक महत्व :- दशहरा पाबनि मनेबाक पाछूक मूल कथा भगवान श्रीराम सँ जुड़ल अछि।14 बरख वनवास म' रावण द्वारा मैया  सीता के हरण क' लेल गेल छल। मैया सीता क' बचेबाक लेल आओर अधर्मी रावण केर नाश करबाक लेल भगवान राम रावण संग कैको दिन धरी युद्ध केलनि। एहेन मान्यता अछि अछि कि शारदीय नवरात्री म' भगवान राम शक्ति के देवी दुर्गा केर अराधना लगातार नौ दिन धरी केलनि जाहिक बाद हुनका मैया दुर्गा केर वरदान भेटल। ऐहिक पश्चात माँ दुर्गा केर  सहयोग स' भगवान राम युद्ध के दसम दिन रावण केर वध करि हुनक अत्याचार स' सभके बचौलनि। एहि परम्परा क' मनबैत हर बरख रावण, मेघनाथ आओर कुम्भकर्ण क' बुराई केर प्रतीक मानी हुनकर पुतला दशहरा के दिन जराओल जायत अछि।

ऐहिक संगे पौराणिक मान्यता केर मुताविक नौ दिन धरी महिषासुर आओर असुर सभक सेना स' माँ दुर्गा लगातार युद्ध केलनि आओर अंत म' दसम दिन महिषासुर के वध करि विजय प्राप्त केना छली। ऐहिक लेल एहि पाबनि क' बुराई पर अच्छाई केर प्रतीक मानल जायत अछि आओर एहि दिन बुराई केर विनाश करबाक प्रण लेल जायत अछि। 


समस्त मिथिलांचल वासी कऽ 'मिथिला दैनिक' परिवार दिस सँ 'विजयादशमी' केर बहुत रास शुभकामना आओर बधाई।

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