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फ़ेसबुकिया पति (कविता)

केहन मनुखसं पड़िगेल पल्ला सगरो भए गेल छुच्छे हल्ला ! फ़ेसबुक पर दिन भरि बैसल धड़ खसौने वो असगर बै…

भाई, हमहुं कवि छी (हास्य)

हमहुं किछु लिखलै छी मनमें फ़ुटैत बात कहुना किछु बिम्ब,किछु छंद संग तुकबंदी, शब्दक अंग भंग सुखद अभ…

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