घिसियाइत सहसह करैत अधसर अबैए भगलो नै होइए
बात फुराइए घुरियाइए टनटनाइए मुदा बजलो नै होइए
जड़िआएल तहिआयल बात टोइआ दैत अछि दगधल मोनमे
बीझ काटि साफ केलक आ बिनु पढ़ने जाइए ओ रोकलो नै होइए
ककरा कहबै जे पतिआएत आइ ह्रिदै लगैए छै सीयल सभक
सभ बोल वचन उपरागो बिनु सुनेने जाइए सहलो नै होइए
घुरत नै देखेलक अपनैती अपन ओ घुमि रहल छी ऐ शून्यमे
अछि आँखिक झोँझक शून्य असगर हहराइए रहलो नै होइए
आफदी-आसमानी आएल अछि ऐमे के टोकत ठाढ़ होइले कहत
सभ मुँह सीयल शून्य-परिधि बढ़ैत देखाइए देखलो नै होइए
थितगर कौआठारि बनल छी ऐरावतक गत्र-गत्र सिहरै अछि
करजनी सन आँखि बिन बजने जे कहि जाइए सुनलो नै होइए
neek gazal
जवाब देंहटाएंmethili men bhi log gazal likh rahe hain ab tak mene hindi aur urdu men hi pdha aur suna hai ...bdhai ho ....gajindar babu..meithili bhasa bhasi delhi men kafi hain lekin aaj pahli baar is bhasa se yeh jankari hasil hui hai ki methili kavi bhi gazal likh rahe hain. urdu walon ka khna hai ki jo ras aur uchcharan urdu lekhan men hai woh kisi bhi bhasa men nahin.kya is trah ka koi vivad meithili men bhi hai..?
जवाब देंहटाएंhttp://anchinharakharkolkata.blogspot.com/ पर जाएं, वहां आपको मैथिली गजल को समर्पित ब्लॊग मिलेगा..बहर (छन्द) के साथ
जवाब देंहटाएंएक टिप्पणी भेजें
मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।