गजल


छोड़ि कऽ जे बिनु बजने जा रहल अछि
हृदै चिरैत आगि सुनगा रहल अछि

नीक लगै छल ओकर बोलक संगोर
जाइए आइ हृदैकेँ कना रहल अछि

नै बुझलिऐ ई एते बढ़ल अछि बात
देखल आइ जे ओ भँसिया रहल अछि

हमरासँ कते की माँगै छल रहरहाँ
जे जुमल ओ बिनु लेने जा रहल अछि

ओकर हाक्रोस हमर चुप्पी सुनै छल
बाजब से बिनु सुनने जा रहल अछि

ऐरावत पटा देलक अपन लहास
नेसुआ कऽ नेढ़िया सृष्टि खा रहल अछि

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