नै बुझलौं तमसाइए कहू की करी
ज्ञानी बनै लेल जाइए देश छोड़ने
ई मोन जे पथराइए कहू की करी
धानी रंगक आगि पियासल किए छै
धाना निश्छल हिलोरैए कहू की करी
धान छै खखरी बनल अहिठाम आ
धानी आगि जे लहकैए कहू की करी
आगिक संगी पानि अजगुत देखल
धौरबी बनल सोचैए कहू की करी
ऐरावत धोधराह धुधुनमुहाँ नै
जरि फाहा बनि बजैए कहू की करी
बड्ड बड्ड बढ़िया..
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