गजल

कोहबर के घाम महैंक उठल मौह सन
रुचलौं आहाँ राईत गुदगर रौह सन !

चतुर्थी अबैत बेस भेलौं समर्थ
पाकल यौवन भातिक लौह सन !

पाटिया बनल पट्काक अखारा
टसक्लौं ने आहाँ नबका चौह सन !

भोरे बिधकरी जे केलैन खखाश
चुप्पे मठेरलौं बतही पुतौह सन !

अहिबातलक पातिल सेहो मिंझा गेल
सांसक बिर्रो छल नागक फौंह सन !

2 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

एक टिप्पणी भेजें

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

और नया पुराने