गीत


भेटल भतार लटपटिआ गे दाइ
देहेके बनबै फटफटिआ गे दाइ
ब्रेक तँ बूझ सदिखन दबाबै
छेदमे सदिखन चाभी घुसाबै
घेरलकै केहन दुरमतिआ गे दाइ
भेटल भतार लटपटिआ गे दाइ

हमरा तँ डीजल सदिखन पिआबै
उपरे-निच्चे इंजन चलाबै
जेम्हरे-तेम्हरे हमरा घुमाबै
फाटै चक्का तँ पंचर लगाबै
की-की कहिऔ बतिआ गे दाइ
भेटल भतार लटपटिआ गे दाइ

केखनो-केखनो एकर भाएओ आबै
एम्हर-उम्हर हाथ लगाबै
हुच्ची देखि ब्रेक दबाबै
आरिओ-धूरक ने लेखा राखै
एहने दिन एहने रतिआ गे दाइ
भेटल भतार लटपटिआ गे दाइ

एहि गीतके कोनो रूपमे प्रसतुतिकरण अथवा एहि गीतके तोड़ि-मरोड़ि कए अथवा कोनो रूपमे एहि गीतक भावके चोरएबाक कोशिश बिना गीतकारक अनुमतिके संभव नहि। एहन काज करए बला संग उचित बेबहार कएल जाएत।

2 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. जेहने विलक्षण प्रतिभा, जेहने विलक्षण रचना,
    ठीक तेहने विलक्षण कल्पना/अनुभव सेहो अछि भाई


    मनीष झा "बौआभाई"
    http://manishjha1.blogspot.com

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