हरियर गाछ जेना मुर्झायल ह्रदय बिकल भ जेना बौआयल

हरियर गाछ जेना मुर्झायल ह्रदय बिकल भ जेना बौआयल
१)नव पल्वित भ रहल छल मन भीतर स चहैक रहल छल तन
इ सोची सोएच नाची रहल छलौ अपना के धन्य कहैत छलौह
मुदा एके टा सब्द ग्रहण लगायल बसल घर के ओ जरायल
हरियर गाछ जेना ..................................................
२)सोचालाऊ चलब प्रेमक गारी पर पवित्र प्रेम के ओही सबारी पर
करैत रही हम प्रेम जिनका स ओहो करैत छलीह हमरा स
हंसी - हंसी कहैथ छलीह ओ प्रितक बाट जिनगी भरी नहीं छोरब साथ
नहीं जानी कोना देबा आगि लगाओल अपन आगि में हमर प्रेम जरयाल
हरियर गाछ जेना ............................................................
३)कोना भ गेलीह ओ एहन निठोहर जेना हरयाल राखल धरोहर
प्रितक आई भ रहल अछि हर गुज - गुज जग भरी पसरल अन्हार
नहीं मुहं घुमा अहाँ जाऊ आई एक बेर करू अपन मुहं स हमर बराई
बोली सुनक लेल अछि मों ललायल शरीर त्यजन के लेल अहि प्राण औनायल
हरियर गाछ जेना ................................................................
४)कर जोरी बिनती करैत छि हम अहांक रूप में नजिर आबे छि हम
अपना ह्रदय के रखाब नुका क ओहिमे हमरा अहाँ बसा क
जित जायब दुनिया के जंग देखैत दुनिया भ जायत दंग
अहांक सुन्दरता देख क चंदो लाजयल रही ख़ुशी जिनगी भरी इ कही रहल अछि अभागल
हरियर गाछ जेना ..................................................................................

4 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. सोचालाऊ चलब प्रेमक गारी पर पवित्र प्रेम के ओही सबारी पर
    करैत रही हम प्रेम जिनका स ओहो करैत छलीह हमरा स
    हंसी - हंसी कहैथ छलीह ओ प्रितक बाट जिनगी भरी नहीं छोरब साथ
    नहीं जानी कोना देबा आगि लगाओल अपन आगि में हमर प्रेम जरयाल
    हरियर गाछ जेना


    Lalitji Apnek lekhnik katbo prasansa karal jay kame het.....

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  2. ललितजी हम अहाँक सभ रचना पढलो अहाँक लेखनिक एक अलगे अंदाज अछि ! अहिना माँ जननी, माँ मिथिलाक लेल लिखैत रहू ....


    हमर शुभ - कामना अछि ....
    अमरकांत झा

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