हंसराज- ईश्वर

ईश्वर
पहाड़क खाधिमे जनमल
एहि गोबरछत्ताक एकटा दोगमे
शरशय्या पर पड़ल
अहर्निश उकासी,
भरि अढ़िया कफ आ रक्तक वमन;
दस टा रोगग्रस्त बन्धुक बीच
एकसर हम सोचि रहलहुँ--
यन्त्राणाक सीमा ईश्वर!

Post a Comment

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

और नया पुराने