गजल- आशीष अनचिन्हार

गजलइजोतक दर्द अन्हार सँ पुछियौ
धारक दर्द कछेर सँ पुछियौ


नहि काटल गेल हएब जड़ि सँ
काठक दर्द कमार सँ पुछियौ


समदाउनो हमरा निर्गुणे बुझाएल
कनिञाक दर्द कहार सँ पुछियौ


सभ पुरुषक मोन जे सभ स्त्री हमरे भेटए
अवैध पेटक दर्द व्यभिचार सँ पुछियौ


करबै की हाथ आ गला मिला कए
अनचिन्हारक दर्द चिन्हार सँ पुछियौ

6 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. bahaut nik bhai, ehina likhait rahoo...bes manoranjak aa bhedi prastuti....ahank rachnak bat takait-TEOTH

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  2. करबै की हाथ आ गला मिला कए
    अनचिन्हारक दर्द चिन्हार सँ पुछियौ

    oho ho ho

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  3. इजोतक दर्द अन्हार सँ पुछियौ
    धारक दर्द कछेर सँ पुछियौ

    नहि काटल गेल हएब जड़ि सँ
    काठक दर्द कमार सँ पुछियौ

    समदाउनो हमरा निर्गुणे बुझाएल
    कनिञाक दर्द कहार सँ पुछियौ

    सभ पुरुषक मोन जे सभ स्त्री हमरे भेटए
    अवैध पेटक दर्द व्यभिचार सँ पुछियौ

    करबै की हाथ आ गला मिला कए
    अनचिन्हारक दर्द चिन्हार सँ पुछियौ
    ati sundar

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  4. hello... hapi blogging... have a nice day! just visiting here....

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