गजल-आशीष अनचिन्हार

गजल
एना हमरा दिस किएक देखैत छी अहाँ
लाल टरेस आखिँए किएक गुम्हरैत छी अहाँ
कोन खराप जँ अहाकँ करेज पर लिखा गेल हमर नाम
जँ मेटा सकी तँ मेटा सकैत छी अहाँ
पीअर रौद मे नाचि रहल उज्जर बसात अनवरत
उदास सन गाम मे केकरा तकैत छी अहाँ
पानि जेना बचए तेना बचाउ एखन ,हरदम
जल-संकटक समय मे किएक कनैत छी अहाँ
धेआन सँ परिवर्तन देखू चोरबा बदलि लेलक समय
राति भरि जागि कए दिन मे सुतैत छी अहाँ

9 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. धेआन सँ परिवर्तन देखू चोरबा बदलि लेलक समय
    राति भरि जागि कए दिन मे सुतैत छी अहाँ.

    बहुत सुन्दर.

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  2. badhiya kam aapne kiya. mujhe bhi prerna mili.apne priy lekhak 'RENUJI' lo behtar tareeke se jan paunga,yah ummed jagi.

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  3. धेआन सँ परिवर्तन देखू चोरबा बदलि लेलक समय
    राति भरि जागि कए दिन मे सुतैत छी अहाँ

    गजलक आत्मा मे अहाँ पैसि गेल छी आकि गजल अहाँक हृदयमे बसि गेल अछि, आ सएह कारण अछि दिन प्रतिदिन अहाँक गजलक नूतनताक।

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  4. पीअर रौद मे नाचि रहल उज्जर बसात अनवरत उदास सन गाम मे केकरा तकैत छी अहाँ

    bahut nik aashis ji

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  5. एना हमरा दिस किएक देखैत छी अहाँ लाल टरेस आखिँए किएक गुम्हरैत छी अहाँ कोन खराप जँ अहाकँ करेज पर लिखा गेल हमर नाम जँ मेटा सकी तँ मेटा सकैत छी अहाँ पीअर रौद मे नाचि रहल उज्जर बसात अनवरत उदास सन गाम मे केकरा तकैत छी अहाँ पानि जेना बचए तेना बचाउ एखन ,हरदम जल-संकटक समय मे किएक कनैत छी अहाँ धेआन सँ परिवर्तन देखू चोरबा बदलि लेलक समय राति भरि जागि कए दिन मे सुतैत छी अहाँ

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  6. एना हमरा दिस किएक देखैत छी अहाँ लाल टरेस आखिँए किएक गुम्हरैत छी

    aashish ji ekdam innovative

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