कविता- हे हमर प्रेयसी- आशीष अनचिन्हार

कविता

हे हमर प्रेयसी

जहिना
फूल झहरि-झहरि खसैत अछि
माटि पर
ओकरा सजबए लेल


मेघ हहरि-हहरि
बुन्नी बनि जाइत छैक
फसिलक लेल


सुगंध उड़ि-उड़ि
बसात मे मीलि जाइत छैक
ओकर सौन्दर्यक लेल


तहिना
हे हमर प्रेयसी, हे हमर सोन
आउ
हम दूनू मीलि जाइ
एक दोसरा मे
नव जिनगी , नव चेतनाक
लेल

7 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. AABA KAVITO GAZLE JEKA SUNDAR AA UTKRISHTA

    हे हमर प्रेयसी

    जहिना
    फूल झहरि-झहरि खसैत अछि
    माटि पर
    ओकरा सजबए लेल

    मेघ हहरि-हहरि
    बुन्नी बनि जाइत छैक
    फसिलक लेल

    सुगंध उड़ि-उड़ि
    बसात मे मीलि जाइत छैक
    ओकर सौन्दर्यक लेल

    तहिना
    हे हमर प्रेयसी, हे हमर सोन
    आउ
    हम दूनू मीलि जाइ
    एक दोसरा मे
    नव जिनगी , नव चेतनाक
    लेल

    जवाब देंहटाएं
  2. SABH SHABD CHUNI CHUNI, BEECHI BEECHI, BIKCHHIYA BIKCHHIYA LEL GEL ACHHI.

    AA EKAR PARINAM ACHHI ETEK NIK KAVITA

    जवाब देंहटाएं
  3. KAMAL KARAI CHHI BHAI
    हे हमर प्रेयसी, हे हमर सोन

    HE HAMAR SON LIKHI BAHUT KICCHU AANI DELAHU EHI KAVITA ME

    जवाब देंहटाएं
  4. bah bhai, sabhta udaharanak explanation optimistic,
    nik lagal,
    muda jingi me...

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