गजल- आशीष अनचिन्हार

गजल
गप्प जखन बिआहक चलल हेतैक

गरीबक बेटी बड्ड कानल हेतैक
गोली लागल देह दसो दिशा मे
कुशलक खोंइछ कत्तौ बान्हल हेतैक
डेग-डेग पर निद्रा देवीक प्रसार
केना कहू केओ जागल हेतैक
सड़ि गेलैक एहि पोखरिक पानि
जुग-जुगान्तर सँ नहि उराहल हेतैक
विश्वास करु समान कम नहि देत
बाटे मे बाट भजारल हेतैक

6 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. केलहुँ कमाल देलहुँ घाव भाइ, एहि बेर छातीपर चोट केलहुँ

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  2. gazal master chhi ahan,
    ehi ber pher ekta samvedanshil gazal ahank keyboard se niklal

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  3. गप्प जखन बिआहक चलल हेतैक
    गरीबक बेटी बड्ड कानल हेतैक

    खोंइछ कत्तौ बान्हल हेतैक
    bad nik bhai saheb

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  4. कलम सजाबी कोना सजाबी ई सजौनय कियो अहाँ स' सीखय I
    असली गजलकार ओहै अछि भाई जे ग़ज़ल सजा क' अहाँ सन लिखय II

    अपनेंक प्रशंसक
    हम छी-मनीष झा "बौआभाई"

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