फूलडालीक कनेर


कृष्णमोहन झा

जिलेबीक काँट जकाँ
हम अहाँक धानक लाबा सन तरबा मे गड़ि जायब
आ किछु दिन धरि बिसबिसायब

चतुर्थीक औंठी आ बरसाइतक मेहदी जकाँ
हम अहाँक विकल संसर्ग मे आयब
आ असंख्य सुग्गा बनि
अहाँक मोन मे उड़ियाएब

हम तँ फूलडालीक कनेर छी
अहाँक लौलसा मे भीजल देवता पर चढब
आ पराते
हजारो-हजार मौलायल फूलक संगे
नहि जानि कोन धार-पोखरि मे विलीन भ’ जायब!




16 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. भाइ अहाँक कविता तँ रटि कए सोचैत छी, सुग्गा बना लेलहुँ अहाँ हमरा, अहाँक कविता संग जे फोटो सेलेक्शन अछि सेहो बड्ड नीक रहैए।

    आ किछु दिन धरि बिसबिसायब
    अहाँक मोन मे उड़ियाएब
    नहि जानि कोन धार-पोखरि मे विलीन भ’ जायब!

    तीन पैराग्राफक ई नीन टा नूतन अंत, बड्ड नीक लागल ।

    जवाब देंहटाएं
  2. vivahak teen vidhik prateek ekta bis bisbait , ekta aakansha bani mon me uriyabait aa tesar vilin hoit, ee teenoo bimb bad nik.

    ehi blog par kahiyo ee nahi hoi ye je aabi aa kono nav rachna nahi padhbak lel bhetay, sabh rachna eke starak hoy se te sambhavo nahi chhaik, se krishnamohan ji ahan regular etay post karait rahi se aagrah,

    जवाब देंहटाएं
  3. bad nik bhai ji

    जिलेबीक काँट जकाँ
    हम अहाँक धानक लाबा सन तरबा मे गड़ि जायब
    आ किछु दिन धरि बिसबिसायब

    चतुर्थीक औंठी आ बरसाइतक मेहदी जकाँ
    हम अहाँक विकल संसर्ग मे आयब
    आ असंख्य सुग्गा बनि
    अहाँक मोन मे उड़ियाएब

    हम तँ फूलडालीक कनेर छी
    अहाँक लौलसा मे भीजल देवता पर चढब
    आ पराते
    हजारो-हजार मौलायल फूलक संगे
    नहि जानि कोन धार-पोखरि मे विलीन भ’ जायब

    sampoorna kavita vilakshana bani paral achhi

    जवाब देंहटाएं
  4. hamar ratuka duty saphal bhay gel ahank kavita padhi ke bhai krishnamohan ji,


    aab bin coffy pine ninn nahi aaeta, sphoorti aani delahu

    जवाब देंहटाएं
  5. mon aanandit kelahu, katek gaheer soch achhi ahank, hamra sabh ke te phuraite nahi achhi

    जवाब देंहटाएं
  6. bad nik kavita, hriday sparsh karay bala, mon me suga bani ghumray bala

    जवाब देंहटाएं
  7. नहि जानि कोन धार-पोखरि मे विलीन भ’ जायब!

    bhavnak ee uphan ahi ta me achhi krishnamohan ji

    जवाब देंहटाएं
  8. hindik kavita sabh me o bat kahan , phuldalik kaner, name dekhoo ne,

    dhanyavad

    जवाब देंहटाएं
  9. bad nik lagal, gun dhun kay rahal chhi je kon rahasya acchi ehi kavita me

    जवाब देंहटाएं
  10. ehi blog par ahank teen ta tin tarahak kavita padhlahu jahi me ekta common chiz chhal,

    utkrishtata

    जवाब देंहटाएं
  11. हम तँ फूलडालीक कनेर छी
    अहाँक लौलसा मे भीजल देवता पर चढब

    जवाब देंहटाएं
  12. भाइ अपनेक रचना पढ़ल, शुरुआत नीक मुदा बिच्चे मे कने -----
    जेना की-----------
    १) जे नेता धोती पहिरत सएह देशी होएत। हमरा बुझने असंभव। कोट- पैंट पहिरि कए सेहो देशक हित कएल जा सकैत छैक।

    आर सभ नीक
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  13. उपरोक्त टिप्पणी " केदन पुछैइ"( मनीष झा बौआ भाइ) लेल कएल गेल अछि। असावधानी वश इ टिप्पणी कृष्ण मोहन झाक कविताक लेल भए गेल , जाहि लेल हम दूनू कवि एवं पाठक सँ क्षमा मगैत छी।

    ध्नवाद (आशीष अनचिनहार)

    जवाब देंहटाएं
  14. Bhai ji ahank kavita padhi sochni rog lagi gel achhi,

    bhavnatmak bana dait chhi hamro san lok ke ahan

    जवाब देंहटाएं
  15. अपने सभक आभारी छी।
    आशा अछि जे अहिना अपने सभक सहयोग
    भेटैत रहत।

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

और नया पुराने