के कहैत अछि कुपच भेल अछि
खा क' कतेक पचौने छी
केदैन पुछैईयै छागर खस्सी
नरसंहार रचौने छी
आँखि-पाँखि छल जा धरि बाधित
ता धरि बनल रही अज्ञान
चारू दिशा देखा देल अपनें
केदैन पुछैईयै दौग दलान
झोपड़िक जीवन भिखमंगा सन
घरक चार उगै छल घास
केदैन पुछैईयै भीतक घर के
राजमहल में करी निवास
नै चाही आब मारा पोठी
चाही हमरा रेहुक मूड़ा
केदैन पुछैईयै जलक बूँद के
मदिरा पीबि रहल अछि सूरा
साइकिल चढ़ि क' पैडिल ठेलू
धूरा लागल रहू पुरान
केदैन पुछैईयै कटही गाड़ी
उड़ि रहल छी ऊँच उड़ान
साम-दाम आ दंड भेद स'
मुट्ठी में संसार दबौने छी
केदैन पुछैईयै धुआं धुक्कुड़
घर-घर आगि झोंकौने छी
कोर्ट-पैंट में बनब विदेशी
भ्रमणक हेतु बेहाल छी
केदैन पुछैईयै धोती-कुर्ता
ई सब जी-जंजाल छी
पढ़ि-लिखि सगरहुँ ठोकर खइतौं
करितहुँ सबहक गुलामी
केदैन पुछैईयै आइ. ए. बी. ए.
हाकिमो दैइयै सलामी
कोन अछि इतिहास पढ़' के
गाथा हमरे लीखि लिय'
केदैन पुछैईयै मनीष कवि के
हमरे स' लिखब सीखि लिय'
मनीष झा "बौआभाई"ग्राम+पोस्ट- बड़हारा
भाया- अंधरा ठाढी
जिला-मधुबनी(बिहार)
पिन-८४७४०१
खा क' कतेक पचौने छी
केदैन पुछैईयै छागर खस्सी
नरसंहार रचौने छी
आँखि-पाँखि छल जा धरि बाधित
ता धरि बनल रही अज्ञान
चारू दिशा देखा देल अपनें
केदैन पुछैईयै दौग दलान
झोपड़िक जीवन भिखमंगा सन
घरक चार उगै छल घास
केदैन पुछैईयै भीतक घर के
राजमहल में करी निवास
नै चाही आब मारा पोठी
चाही हमरा रेहुक मूड़ा
केदैन पुछैईयै जलक बूँद के
मदिरा पीबि रहल अछि सूरा
साइकिल चढ़ि क' पैडिल ठेलू
धूरा लागल रहू पुरान
केदैन पुछैईयै कटही गाड़ी
उड़ि रहल छी ऊँच उड़ान
साम-दाम आ दंड भेद स'
मुट्ठी में संसार दबौने छी
केदैन पुछैईयै धुआं धुक्कुड़
घर-घर आगि झोंकौने छी
कोर्ट-पैंट में बनब विदेशी
भ्रमणक हेतु बेहाल छी
केदैन पुछैईयै धोती-कुर्ता
ई सब जी-जंजाल छी
पढ़ि-लिखि सगरहुँ ठोकर खइतौं
करितहुँ सबहक गुलामी
केदैन पुछैईयै आइ. ए. बी. ए.
हाकिमो दैइयै सलामी
कोन अछि इतिहास पढ़' के
गाथा हमरे लीखि लिय'
केदैन पुछैईयै मनीष कवि के
हमरे स' लिखब सीखि लिय'
मनीष झा "बौआभाई"ग्राम+पोस्ट- बड़हारा
भाया- अंधरा ठाढी
जिला-मधुबनी(बिहार)
पिन-८४७४०१
के कहैत अछि कुपच भेल अछि
जवाब देंहटाएंखा क' कतेक पचौने छी
केदैन पुछैईयै छागर खस्सी
नरसंहार रचौने छी
bad nik
bahut sunder rachna achhi shriman
जवाब देंहटाएंके कहैत अछि कुपच भेल अछि
जवाब देंहटाएंखा क' कतेक पचौने छी
केदैन पुछैईयै छागर खस्सी
नरसंहार रचौने छी
कोन अछि इतिहास पढ़' के
गाथा हमरे लीखि लिय'
केदैन पुछैईयै मनीष कवि के
हमरे स' लिखब सीखि लिय'
BAHUT SUNDAR LAGAL APNEK KA RACHANA - MANISH ji
मनीष जी....आहाँक कविता बहुत नीक लागल....अहिना लिखैत रहु.
जवाब देंहटाएंके ने पुछ्त मनीष कवि के
जवाब देंहटाएंऐहेन कविता जँ पाठा देता
हर्षित भय पढता सबकियो
पाठक के ठमका लेता !
मनीष जी अहाँ कविता के वर्णन करवाक लेल शब्द नहि भेटल !
bahut nik samyik
जवाब देंहटाएंkedan puchhaiye, theeke
जवाब देंहटाएंसाम-दाम आ दंड भेद स'
जवाब देंहटाएंमुट्ठी में संसार दबौने छी
केदैन पुछैईयै धुआं धुक्कुड़
घर-घर आगि झोंकौने छी
बाहुबली नेता पर उचित आक्षेप I नीक आ सामयिक प्रस्तुति, नीक रचनाकार छी ताहि में कोनो दू-मत नहि I मनीष जी, अहाँक कविता बहुत नीक लागल आ अहिना लिखैत रहु I
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