गजल- आशीष अनचिन्हार

इ गजल रचना प्रियंका झा के समर्पित छैन्ह, मुदा गजल मे लिखल रचना शब्द सँ हुनकर कोनो तालमेल नहि। आनंद जी खुशी भेल जे अपने रुपकांत जीक पोथी चाही, मुदा इ मात्र छायाप्रति केर रुप मे भेटि सकैए, जँ केओ चाहए त। ओना हमरा लग हुनक सभ पोथी अछि मुदा अफसोच, हम अपन पोथीघर सँ बहुत दूर छी।तएँ हमरा दिस सँ सहयोगक आशा कम्म। धन्यवाद आशीष अनचिन्हार (09968989527)
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गजल
रचना कतेक टका लगतै सपना किनबाक लेल
जूटल घर सरदर अँगना किनबाक लेल


हम मुक्त छी राग-विराग प्रेम-घृणा सँ
रचना कतेक टका लगतै भावना किनबाक लेल


सत्त मानू हम काज करै छी लोकतंत्रक पद्धतिए
रचना कतेक टका लगतै पटना किनबाक लेल


पत्रकारिता गुलाम छैक टी.आर.पीक
रचना कतेक टका लगतै घटना किनबाक लेल

5 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. गजल
    रचना कतेक टका लगतै सपना किनबाक लेल
    जूटल घर सरदर अँगना किनबाक लेल

    हम मुक्त छी राग-विराग प्रेम-घृणा सँ
    रचना कतेक टका लगतै भावना किनबाक लेल

    सत्त मानू हम काज करै छी लोकतंत्रक पद्धतिए
    रचना कतेक टका लगतै पटना किनबाक लेल

    पत्रकारिता गुलाम छैक टी.आर.पीक
    रचना कतेक टका लगतै घटना किनबाक लेल

    bah aab nam aashish chinhar rakhi liya

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