हम लिखैत छी कविता- उदय चन्द्र झा "विनोद"

उदय चन्द्र झा "विनोद"

हम लिखैत छी कविता
सूर्यकेँ अर्घ्य दैत छी
ककरो किछु फर्क भने नइँ पड़ौक
हमरा पड़ैत अछि
अहाँ पढ़ू वा नहि
हमरा लिखय पड़ैत अछि
हमरा लेल कविता लिखब
आइयो अछि आवश्यक
परमावश्यक अछि जीवाक लेल।

4 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. हमरा लेल कविता लिखब
    आइयो अछि आवश्यक
    परमावश्यक अछि जीवाक लेल।

    सभ कविक लेल ई अछि आवश्यक।

    नीक।

    जवाब देंहटाएं
  2. हम लिखैत छी कविता
    सूर्यकेँ अर्घ्य दैत छी
    ककरो किछु फर्क भने नइँ पड़ौक
    हमरा पड़ैत अछि
    अहाँ पढ़ू वा नहि
    हमरा लिखय पड़ैत अछि
    हमरा लेल कविता लिखब
    आइयो अछि आवश्यक
    satte

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

और नया पुराने