कोजगरा पूजन मे पहिने ओहि स्थल पर जतय ओ शुभ कार्य होयतैक अरिपण देल जाईत अछि। स्थान के चिकठानि माँटि सँ नीपि कय चाउर के पीसल पीठार सँ अरिपण के चित्रकारी कयल जाइत अछि। जनिका मांझ ठाम सिन्दुर के रेख सँ पहिने गोसाओन के स्थान सुरक्षित राखि-ओही चित्र पर समयानुसार शुभ कार्य कयल जाईत अछि, अगहन सँ अषाढ़ तक जे नव दम्पत्ति के विआह होइत छैन्हि हुनकर कोजगरा आश्विन मासक पुर्णिमा के राति मे मनाओल जाईत अछि। प्रतिवर्ष नव दम्पत्ति के कोजगरा होईत अछि।
कान्यापक्षक ओतय सँ वर पक्षक परिवारक वर (दुल्हा) सहित सभ सदस्य के नव वस्त्र आ संग मे चूड़ा दही, केरा मिठाई आ पर्याप्त मरवान के 10-20 भार साजि कय भार आबैत अछि। चूड़ा, दही, केरा, मिठाई जे कन्यापक्षक ओतय सँ अबैत छैक, ओकर भोज अपना समाजिक सम्बन्ध के मुताबिक वर पक्षक ओतय होइत अछि, संगे समस्त परिवार नव वस्त्र (जे कन्या पक्ष सँ अवैत अछि) धारण करैत छथि।
आंगन के माँझठाम अरिपन देल जाइत अछि, आओर ओहि पर आसन दय वर के चुमाओन कएल जाइत अछि। तदुपरान्त दुर्वाक्षत सँ वर के दीर्घ आयु के मंगल कामना करैत गोसाओन के गोहरवति स्त्रीगण समाज वर के गोसाओन के अराधना मे लऽ जाईत छथि। वर गोसाओन के मनाय कय अपना सँ श्रेष्ट पुरजन, परिजन एवं समाज के चरण स्पर्श करैत छथि आओर सुभाशिष प्राप्त करैत छथि। एहि पावनि मे वर पक्ष समाजक हर समुदाय के लोक के हकार दय अपना ओहिठाम वजाबति छाथि आओर सनेस मे आयल मखान एवं वताशा (मिठाई) मिलाकय प्रयाप्त रुपेण बाँटि कय पान सुपारी दय विदा करैत छाथि। एहि पावनि मे मखानक प्रधानता अछि। मखान एक प्रकारक विशिष्ट मेवा फल अछि।
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