मिथिलांचल क्षेत्र बिहार मे सबस पिछड़ल मानल जाइत अछि, अगर प्रतिव्यक्ति आय , साक्षरता और प्रसवकाल मे जच्चा-बच्चा के मृत्यु के मापदंड बनायल जाय तो मिथिलांचल देश के सबस गरीब आ पिछड़ल इलाका अछि। एकर किछु कारण त अहि इलाका के भौगोलिक बनावट अछि लेकिन ओहियो स पैघ कारण एहि इलाका के मे कोनो नीक नेतृत्व के आगू नै एनाई अछि। आजादी के लगभग 60 वर्ष बीत गेलाक के बाद देश में जहि हिसाब स आर्थिक असमानता बढ़ि गेलैक अछि ओहि में बिहार आ खासक मिथिला के सामने एकटा बड्ड पैघ संकट छैक जे ई और पाछू नै फेका जाय। उदाहरण के लेल ई आंकड़ा आंखि खोलि दै बला अछि जे एकटा गोआ मे रहय बला औसत आदमी के प्रतिव्यक्ति आमदमी एकटा औसत बिहारी सं सात गुना बेसी छैक आ एकटा पंजबी के आमदनी पांच गुना बेसी छैक। बिहारो मे अगर क्षेत्रबार आंकड़ा निकालल जाय त बिहार के दक्षिणी( एखुनका गंगा पार मगध आ अंग) एवम पश्चिमी ईलाका बेसी सुखी अछि, आ ओकर जीवनशैली सेहो दू पाई नीक छैक। त एहन में सवाल ई जे फेर रस्ता की छैक। की मिथिलांचल के लोक एहिना दर-दर के ठोकर खाईके लेल दुनियां में बौआईत रहता अथवा हुनको एक दिनि विकास के दर्शन हेतन्हि।
मिथिलांचलक ई दुर्भाग्य छैक जे एकर एकट पैघ हमरा हिसाब सं आधा से बेसी इलाका बाढ़ि में डूबल रहैत छैक। बाढ़ि के समस्या के निदान सिर्फ राज्य सरकार के मर्जी सं नहि भ सकैत बल्कि अहि में केंद्रसरकार के सहयोग चाही। पिछला साठि साल मे बिहार के नेतागण अहिपर कोनो गंभीर ध्यान नहि देलन्हि जकर नतीजा अछि जे बाढ़ एखन तक काबू मे नहि आबि रहल अछि। पिछला कोसी के आपदा एकर पैघ उदाहरण अछि, आब नेतासब के आंखि कनी खुललन्हि अछि, लेकिन एखन सं मेहनत केल जायत त अहि मे कमस कम 20 साल लागत।
बाढ़ि सिर्फ संपत्ति के नाश नहि करैत छैक, बल्कि आधारभूत ढ़ांचा जेना सड़क, रलेवे आ पुल के खत्म क दैत छैक। एहन हालत मे कोनो उद्योग के लगनाई सिर्फ दिन मे सपना देखैक बराबर अछि।
किछु गोटाके कहब छन्हे जे बिहार मे उद्योग धंधा के जाल बिछाक एकर विकास केल जा सकैछ। लेकिन जखन सड़क आ विजलिये नहि अछि त केना उद्योग आओत। दोसर बात ई जे पिछला अविकासके चक्रक फलस्वरुप आबादीके बोझ एतेक बढ़िगेल अछि जे पूरा इलाका मे कोनो खाली जमीन नहि अछि जतय पैघ उद्योग लगायल जा सकय। सिंगूर के उदाहरण सामने अछि। महाशक्तिशाली वाममोर्चा के सरकार के जखन बंगाल मे 1000 एकड़ जमीन नै खोजल भेलैक त एकर कल्पना व्यर्थ जे दरभंगा आ मधुबनी मे सरकार कोनो पैघ उद्योग के जमीन दै। दोसर बात इहो जे पूरा मिथिला के पट्टी मे, मुजफ्फरपुर सं ल क कटिहार तक कोनो पैघ संस्था-चाहे ओ शैक्षणिक होई या औद्योगिक- नै छै जे एकमुश्त 3-4 हजार लोग के रोजगार द सकै। हमरा इलाका मे शहरीकरण के घनघोर अभाव अछि। जतेक शहर अछि ओ एकटा पैघ चौक या एकटा विकसित गांव स बेसी नहि।एकटा ढंग के इंजिनियरिंग या मेडिकल कालेज नहि, एकटा यूनिवर्सिटी नहि। कालेज सब केहन जे 4 साल में डिग्री द रहल अछि। एक जमाना मे प्रसिद्ध दरभंगा मेडिकल कालेज मे टीचर के अभाव छैक आ कालेज जंग खा रहल अछि। हम सब एहन अकर्मण्य समाज छी जे कोसी पर एकटा पुल बनबैक मांग तक नै केलहुं,हमर नेता हमरा ठेंगा देखबैत रहला। आब जा क रेलवे आ रोड पुल के बात भ रहल अछि।कुल मिलाकर इलाका मे सिर्फ 8-10 प्रतिशत लोक शहर में रहैत छथि, ई ओ लोक छथि जिनका सरकारी नौकरी छन्हि। ई शहर कोनो उद्योग के बल पर नहि विकसित भेल। बाकी आबादी-लगभग 40 प्रतिशत दिल्ली आ पंजाब मे अपन कीमती श्रम औने-पौने दाम मे बेच रहल अछि। मिथिला के श्रम पंजाब मे फ्लाईओवर आ शापिंग माल बनाब मे खर्च भ रहल अछि, कारण कि हमसब एहेन माहौल नहि बनौलिएकि जे ओ श्रम अपन घर मे नहर या सड़क बनब मे खर्च हुए।
तखन सवाल ई जे फेर उपाय की अछि। हमरा ओतय पैघ उद्योग नहि लागि सकैछ, रोड नहि अछि बाढ़ि के समस्या विकराल अछि, त हमसब की करी। लेकिन नहि, मिथिला के विकास एतेक पाछू भ गेलाक बाद एखनों कयल जा सकैछ। आ अहि विषय मे कय टा विचार छैक।
किछु गोटा के कहब छन्हि जे एखुनका बिहारक सरकार मगध आ भोजपुर के विकास पर बेसी ध्यान द रहल छैक। एकर वजह जे सत्ता मे पैघ नेता ओही इलाका के छथि, लेकिन दोसर कारण इहो जे ओ इलाका बाढ़िग्रस्त नहि छैक। पैघ प्रोजेक्ट के लेल ओ इलाका उपयुक्त छैक। उदाहरणस्वरुप-एनटीपीसी, नालंदा यूनिवर्सिटी आ आयुध फैक्ट्री-ई तमाम चीज मगध मे अछि। दोसर बात ई जे नीक कनेक्टिविटी भेला के कारणे भविष्य मे जे कोनो निवेश बिहार मे हेतैक ओ सीधे एही इलाका मे जेतैक। कुलमिलाक आबै बला समय मे बिहार मे क्षेत्रीय असमानता बढ़य बला अछि। एहि हालत मे किछु गोटा अलग मिथिला राज्यक मांग क रहल छथि, आ हमरा जनैत संस्कृति स बेसी -अपन आर्थिक विकास के लेल ई मांग उचित अछि।
मिथिला के विकास के माडेल की हुअके चाही।मिथिला के जमीन दुनिया के सबस बेसी उपजाऊ जमीन अछि। हमसब पूरा भारत के सागसब्जी आ अनाज सप्लाई क सकैत छी। लेकिन ओ सब्जी दरभंगा सं दिल्ली कोना जायत। एहिलेल फोरलेन हाईवे आ रेलवे के रेफ्रजेरेटर डिब्बा चाही। दोसर गप्प हमर इलाका के एकटा पैघ रकम दोसर राज्य मे इंजिनियरिंग आ मेडिकल कालेज चल जाईत अछि। हमरा इलाका मे 50 टा इंजिनीयरिंग कालेज आ 10 टा मेडिकल कालेज चाही। ई कालेज भविष्य में विकास के रीढ़ साबित होयत। हमरा इलाका मे छोट-छोट उद्योग जेना स़ाफ्टवेयर डेवलपमेंट या पार्टपुर्जा बनबै बला फैक्ट्री चाही जहि मे 100-200 आदमी के रोजगार भेटि जाय। लेकिन एहिलेल 24 घंटा विजली चाही। ई कतेक दुर्भाग्य के बात जे बगल के झारखंडक कोयला के उपयोग त पंजाब में बिजली बनबैक लेल भ जाय छैक लेकिन हमसब एकर कोनो उपयोग नहि क रहल छी। आई अगर हमरा अपन इलाका मे 24 घंटा बिजली भेटि जाय़ त पंजाब जाय बला मजदूर के संख्या में कम सं कम आधा कमी त पहिले साल भ जायत। भारत के दोसर राज्य सिर्फ आ सिर्फ अही इलाका के सस्ता श्रम के बले तरक्की क रहल अछि। हमसब ई जनतौ किछु नहि क रहल छी, ई दुर्भाग्य के गप्प।
मिथिला मे पढ़ाई लिखाई के प्राचीन परंपरा रहलैक अछि लेकिन सुविधा के अभाव मे ई धारा हाल मे कमजोर भेल अछि। खासकर महिला शिक्षा के दशा-दिशा त आर खराब अछि। एकटा लड़की कतेको तेज कियेक ने रहे ओ 10 सं बेसी नहि पढ़ि सकैत अछि कारण घर के पास कालेज नहि छैक। हमरा अगर तरक्की करय के अछि त इलाका मे एकटा महिला यूनिवर्सिटी त अवश्ये हुअके चाही, संगहि सरकार के ईहो दायित्व छैक जे हरेक ब्लाक में कमस कम एकटा डिग्री कालेज के स्थापना हुए। देश के विकास मे अहि इलाका के संग कतेक भेदभाव केल गेलैक आ हमर नेतागण कतेक निकम्मा छथि-एकर पैघ उदाहरण त ई जे इलाका मे एकहुटा केंद्रीय संस्थान नहि छैक। एकटा यूनिवर्सिटी नहि, एकटा कारखाना नहि। आब जा क कटिहार मे अलीगढ यूनिवर्सिटी, दरभंगा में आईआईआईटी आ बरौनी मे फेर सं खाद कारखाना के पुनर्जीवित करैक बात कयल जा रहल अछि। हमरा याद अछि जे साल 1996 तक दरभंगा तक मे बड़ी लाईन नहि छलैक। हमसब कुलमिलाकर कोनो तरहक संपत्ति के निर्माण नहि करैत छी। हमसब अपन आमदनी दोसर राज्य भेज दै छियैक-बेटा के बंगलोर मे इंजिनीयरिंग करबै सं ल क दियासलाई तक खरीदै मे। हमर पूंजी अपन राज्य, अपन इलाका के विकास में नहि लागि रहल अछि। एहि स्थिति के जाबत काल तक नहि बदलल जायत हम किछु नहि क सकैत छी।
मिथिलांचलक ई दुर्भाग्य छैक जे एकर एकट पैघ हमरा हिसाब सं आधा से बेसी इलाका बाढ़ि में डूबल रहैत छैक। बाढ़ि के समस्या के निदान सिर्फ राज्य सरकार के मर्जी सं नहि भ सकैत बल्कि अहि में केंद्रसरकार के सहयोग चाही। पिछला साठि साल मे बिहार के नेतागण अहिपर कोनो गंभीर ध्यान नहि देलन्हि जकर नतीजा अछि जे बाढ़ एखन तक काबू मे नहि आबि रहल अछि। पिछला कोसी के आपदा एकर पैघ उदाहरण अछि, आब नेतासब के आंखि कनी खुललन्हि अछि, लेकिन एखन सं मेहनत केल जायत त अहि मे कमस कम 20 साल लागत।
बाढ़ि सिर्फ संपत्ति के नाश नहि करैत छैक, बल्कि आधारभूत ढ़ांचा जेना सड़क, रलेवे आ पुल के खत्म क दैत छैक। एहन हालत मे कोनो उद्योग के लगनाई सिर्फ दिन मे सपना देखैक बराबर अछि।
किछु गोटाके कहब छन्हे जे बिहार मे उद्योग धंधा के जाल बिछाक एकर विकास केल जा सकैछ। लेकिन जखन सड़क आ विजलिये नहि अछि त केना उद्योग आओत। दोसर बात ई जे पिछला अविकासके चक्रक फलस्वरुप आबादीके बोझ एतेक बढ़िगेल अछि जे पूरा इलाका मे कोनो खाली जमीन नहि अछि जतय पैघ उद्योग लगायल जा सकय। सिंगूर के उदाहरण सामने अछि। महाशक्तिशाली वाममोर्चा के सरकार के जखन बंगाल मे 1000 एकड़ जमीन नै खोजल भेलैक त एकर कल्पना व्यर्थ जे दरभंगा आ मधुबनी मे सरकार कोनो पैघ उद्योग के जमीन दै। दोसर बात इहो जे पूरा मिथिला के पट्टी मे, मुजफ्फरपुर सं ल क कटिहार तक कोनो पैघ संस्था-चाहे ओ शैक्षणिक होई या औद्योगिक- नै छै जे एकमुश्त 3-4 हजार लोग के रोजगार द सकै। हमरा इलाका मे शहरीकरण के घनघोर अभाव अछि। जतेक शहर अछि ओ एकटा पैघ चौक या एकटा विकसित गांव स बेसी नहि।एकटा ढंग के इंजिनियरिंग या मेडिकल कालेज नहि, एकटा यूनिवर्सिटी नहि। कालेज सब केहन जे 4 साल में डिग्री द रहल अछि। एक जमाना मे प्रसिद्ध दरभंगा मेडिकल कालेज मे टीचर के अभाव छैक आ कालेज जंग खा रहल अछि। हम सब एहन अकर्मण्य समाज छी जे कोसी पर एकटा पुल बनबैक मांग तक नै केलहुं,हमर नेता हमरा ठेंगा देखबैत रहला। आब जा क रेलवे आ रोड पुल के बात भ रहल अछि।कुल मिलाकर इलाका मे सिर्फ 8-10 प्रतिशत लोक शहर में रहैत छथि, ई ओ लोक छथि जिनका सरकारी नौकरी छन्हि। ई शहर कोनो उद्योग के बल पर नहि विकसित भेल। बाकी आबादी-लगभग 40 प्रतिशत दिल्ली आ पंजाब मे अपन कीमती श्रम औने-पौने दाम मे बेच रहल अछि। मिथिला के श्रम पंजाब मे फ्लाईओवर आ शापिंग माल बनाब मे खर्च भ रहल अछि, कारण कि हमसब एहेन माहौल नहि बनौलिएकि जे ओ श्रम अपन घर मे नहर या सड़क बनब मे खर्च हुए।
तखन सवाल ई जे फेर उपाय की अछि। हमरा ओतय पैघ उद्योग नहि लागि सकैछ, रोड नहि अछि बाढ़ि के समस्या विकराल अछि, त हमसब की करी। लेकिन नहि, मिथिला के विकास एतेक पाछू भ गेलाक बाद एखनों कयल जा सकैछ। आ अहि विषय मे कय टा विचार छैक।
किछु गोटा के कहब छन्हि जे एखुनका बिहारक सरकार मगध आ भोजपुर के विकास पर बेसी ध्यान द रहल छैक। एकर वजह जे सत्ता मे पैघ नेता ओही इलाका के छथि, लेकिन दोसर कारण इहो जे ओ इलाका बाढ़िग्रस्त नहि छैक। पैघ प्रोजेक्ट के लेल ओ इलाका उपयुक्त छैक। उदाहरणस्वरुप-एनटीपीसी, नालंदा यूनिवर्सिटी आ आयुध फैक्ट्री-ई तमाम चीज मगध मे अछि। दोसर बात ई जे नीक कनेक्टिविटी भेला के कारणे भविष्य मे जे कोनो निवेश बिहार मे हेतैक ओ सीधे एही इलाका मे जेतैक। कुलमिलाक आबै बला समय मे बिहार मे क्षेत्रीय असमानता बढ़य बला अछि। एहि हालत मे किछु गोटा अलग मिथिला राज्यक मांग क रहल छथि, आ हमरा जनैत संस्कृति स बेसी -अपन आर्थिक विकास के लेल ई मांग उचित अछि।
मिथिला के विकास के माडेल की हुअके चाही।मिथिला के जमीन दुनिया के सबस बेसी उपजाऊ जमीन अछि। हमसब पूरा भारत के सागसब्जी आ अनाज सप्लाई क सकैत छी। लेकिन ओ सब्जी दरभंगा सं दिल्ली कोना जायत। एहिलेल फोरलेन हाईवे आ रेलवे के रेफ्रजेरेटर डिब्बा चाही। दोसर गप्प हमर इलाका के एकटा पैघ रकम दोसर राज्य मे इंजिनियरिंग आ मेडिकल कालेज चल जाईत अछि। हमरा इलाका मे 50 टा इंजिनीयरिंग कालेज आ 10 टा मेडिकल कालेज चाही। ई कालेज भविष्य में विकास के रीढ़ साबित होयत। हमरा इलाका मे छोट-छोट उद्योग जेना स़ाफ्टवेयर डेवलपमेंट या पार्टपुर्जा बनबै बला फैक्ट्री चाही जहि मे 100-200 आदमी के रोजगार भेटि जाय। लेकिन एहिलेल 24 घंटा विजली चाही। ई कतेक दुर्भाग्य के बात जे बगल के झारखंडक कोयला के उपयोग त पंजाब में बिजली बनबैक लेल भ जाय छैक लेकिन हमसब एकर कोनो उपयोग नहि क रहल छी। आई अगर हमरा अपन इलाका मे 24 घंटा बिजली भेटि जाय़ त पंजाब जाय बला मजदूर के संख्या में कम सं कम आधा कमी त पहिले साल भ जायत। भारत के दोसर राज्य सिर्फ आ सिर्फ अही इलाका के सस्ता श्रम के बले तरक्की क रहल अछि। हमसब ई जनतौ किछु नहि क रहल छी, ई दुर्भाग्य के गप्प।
मिथिला मे पढ़ाई लिखाई के प्राचीन परंपरा रहलैक अछि लेकिन सुविधा के अभाव मे ई धारा हाल मे कमजोर भेल अछि। खासकर महिला शिक्षा के दशा-दिशा त आर खराब अछि। एकटा लड़की कतेको तेज कियेक ने रहे ओ 10 सं बेसी नहि पढ़ि सकैत अछि कारण घर के पास कालेज नहि छैक। हमरा अगर तरक्की करय के अछि त इलाका मे एकटा महिला यूनिवर्सिटी त अवश्ये हुअके चाही, संगहि सरकार के ईहो दायित्व छैक जे हरेक ब्लाक में कमस कम एकटा डिग्री कालेज के स्थापना हुए। देश के विकास मे अहि इलाका के संग कतेक भेदभाव केल गेलैक आ हमर नेतागण कतेक निकम्मा छथि-एकर पैघ उदाहरण त ई जे इलाका मे एकहुटा केंद्रीय संस्थान नहि छैक। एकटा यूनिवर्सिटी नहि, एकटा कारखाना नहि। आब जा क कटिहार मे अलीगढ यूनिवर्सिटी, दरभंगा में आईआईआईटी आ बरौनी मे फेर सं खाद कारखाना के पुनर्जीवित करैक बात कयल जा रहल अछि। हमरा याद अछि जे साल 1996 तक दरभंगा तक मे बड़ी लाईन नहि छलैक। हमसब कुलमिलाकर कोनो तरहक संपत्ति के निर्माण नहि करैत छी। हमसब अपन आमदनी दोसर राज्य भेज दै छियैक-बेटा के बंगलोर मे इंजिनीयरिंग करबै सं ल क दियासलाई तक खरीदै मे। हमर पूंजी अपन राज्य, अपन इलाका के विकास में नहि लागि रहल अछि। एहि स्थिति के जाबत काल तक नहि बदलल जायत हम किछु नहि क सकैत छी।
मिथिला आर मैथिल ब्लॉग अहाँक आगमनसँ सुशोभित भ' गेल। मिथिलांचलक विकासपर अहाँक लेख सारगर्भित अछि आ समस्याक समाधानक दिस एकटा पैघ डेग सिद्ध होएत।
जवाब देंहटाएंbahut nik nibandh lagal
जवाब देंहटाएंमिथिलांचलक ई दुर्भाग्य छैक जे एकर एकट पैघ हमरा हिसाब सं आधा से बेसी इलाका बाढ़ि में डूबल रहैत छैक।
जवाब देंहटाएंबाकी आबादी-लगभग 40 प्रतिशत दिल्ली आ पंजाब मे अपन कीमती श्रम औने-पौने दाम मे बेच रहल अछि।
मिथिलांचलक समस्याक समाधानक दिस एकटा पैघ सहयोग चाही।
sir, ekta anurodh je hamar namke spelling galat likha gel acchi-hamar naam sushant jha acchi nai ki shushant jha-baadbaanki theek acchi-dhanyawad.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सुशांत जी। नाम ठीक कए देल गेल अछि।
जवाब देंहटाएंबड्ड नीक सुशांत भैया। असलका काज तँ अहीँ क' रहल छी।
जवाब देंहटाएंbad nik prastuti lagal
जवाब देंहटाएंnepalak mithila region me seho sthiti yaih sabh chhaik, varan samasya aar complicated chhai,
जवाब देंहटाएंbad nik vivechan
rahul madhesi, janakpur
Dhanyawad prasturi bad nik lagal sushant jee.Ahan aya ka mithila ka wastwik halat batabai chhiyai.Aya hamar mithila ma jansakhya teji sa badhal jai rahal chhai je garibi badhai ka pichhu ego barka karan chhai.Ekro karan garibi chhai,log sochai ya ki hamra yadi panch go hath rahtai ta ham besi kamaib ar hamra dikkat nai hoit.Sarkar yadi kuch prayaso karai ya ta u bahut kama pair jai ya.Hamra vichare yadi vikas karnai chhai ta sabse pahine jansakhya vridhi par sarkar ka jarur dhyan dewa ka chahi.Ekra khilaf kathor kadam uthana chahi.
जवाब देंहटाएंNamaskar sushant ji
जवाब देंहटाएंAap ne jo vishe uthaya hai ye bahut hi mahatpurn hai mithila ke vikas ke liye. lekil jab tak mithila ke logo ki aakhe nahi khulengi,jab tak wo aapne vikas ki bat khud hi nahi sochenge tab tak hmara purn vikas sambhab nahi ho sakta. isleye aap chese samaj ke sudharak logo ko samaj ke logo ko batana hoga, un ki aakhe kholni hogi, tabhi hmara vikas hoga, mithila aage badhega. Agar hum aap ki koi sahaeta kar sake to ye hmara sobhagya hoga.
Er.Amit K. Jha.
+91-9818280741.
JAY MITHILA JAY METHIL JAY BHARAT
PRNAM SUSHANT G.
Mithilanchalak vikas ekta neek lekh achhi je bidyak prachin nagri aan rajyak bikasak apechha kyak lupat nazar aabi rahal achhi..sabh gote ke ekta paigh niyar kara parat je mithilak bikas ke lel ki karbak chahi.
जवाब देंहटाएंpriya Sushhant,
जवाब देंहटाएंapnek lekh aa vichaar atyant samayik achi.
Yes ! Mithila needs to develop so that its sons and daughters don't have to migrate to earn a living.
As u have suggested, rather than heavy engineering, some 'soft', non polluting industries like education, farming etc will be the USP of our area.
a word of caution on 'development' though. with development comes myriad problems. few days back there was a report in TOI that now Mumbai is becomming financial hub of Asia and it is refelcted in land prices. If mumbai becomes a hub, it may benefit few, but increaisng land prices, impact all. Whereever development has happned, the local people loose their culture and most of them are pushed to lowest strata of society ( living in slums or just better than slums ). Development as a word is a misnomer now a days, development is accompanied by westernisation of culture and destruction of the local flavour.
saprem.
aditya
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