भइया-बहना केर नाम सँ प्रसिद्ध एहि मंदिर के बहुत अनौखा खिस्सा अछि। महाराजगंज अनुमंडल स्थित बीखा बांध गाम म' स्थापित एहि मंदिर के एकहि किंवदंति अछि। एहिठामक लोग सभक कहब अछि कि एहि गाम सँ एक भाई अप्पन बहिन क' हुनकर सासुर सँ बिदागरी करा ल' जाएत रहथिन। ओहि दौरान मुगल शासक के सैनिक सभ द्वारा हुनका पर खराब नजैर डालल गेल। जाहिसँ भाई-बहिन डरा गेलखिन।
जाहिक बाद दुनू भाई - बहिन धरती मैया सँ नेहोरा केलखिन कि ओ फाइट जाए आओर ओ ओहिमे समा जाए, ताकि हुनक रक्षा भ' सके। भाई-बहिनक गुहार सुनैत धरती मिया फाइट गेली आओर दुनू भाई - बहिन हुनका कोख म' समा गेलथि। ओहिसमय एता एक वटवृक्ष निकलल जे आपस म' लेपटायल छल। ओहिके भाई-बहिनक प्रतिक मानल जाएत अछि।
स्थानीय लोग सभक कहब अछि कि ई मंदिर भाई-बहिनक समाधी अछि, एता पूरा बरख पूजा होएत अछि, मुदा सावन म' महिला सभ अप्पन भाई केर रक्षा आओर नमहर आयु के लेल एहिठाम पूजा अर्चना करे दूर-दूर सँ आबैत छथि।
करीब छह बिगहा म' पसरल एहि भूखंड म' मंदिर स्थित अछि जे चारो दिस स' गाछ सभसँ धेराओल अछि। एहि मंदिर केर निर्माणक बारे म' सेहो एक खिस्सा अछि। लोग सभक कहब अछि कि एहि जगह पर एक सोनार आएल छलखिन जे कुष्ठ रोग सँ पीड़ित छलखिन, एहि दौरान धरती म' समाएल भाई-बहिन ओहि सोनार क' सपना देखेलखिन कि यदि एहि जगह पर मंदिर बना देब तेँ अहाँक रोग ठीक भ' जाएत। जाहिक बाद सोनार द्वारा मंदिर केर निर्माण कराओल गेल आओर ओहि सोनार के रोग ठीक भ' गेल।
ओहि दिन सँ एहि जगह पर लोग अप्पन मनोकामना आओर दुःख सभसँ छुटकारा पएबाक लेल एता आबैत छथि आओर मंदिर म' स्थित समाधी केर पूजा अर्चना करैत छथि।
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