1854 मे अंग्रेज सरकार द्वारा भारत मे रेल सेवा प्रारंभ कायल गेल छल। जहिना - जहिना रेल से जुडल सेवा मे विस्तार भेल, क्षेत्रवार प्रगति सेहो होयत रहल। जल्दे देशक कोने-कोने मे बड़ी रेल लाइन केर विस्तार क' देल गेल। मुदा, एहि लिहाज से कोसी प्रमंडल के इलाका खासकरी सहरसा - फारबिसगंज उपेक्षित रहल। ओनाकि सहरसा मे जनप्रतिनिधि सभक पहल पर 2005 मे बड़ी रेल लाइन केर विस्तार भेल आर पहिने सहरसा - मानसी रेलखंड पर बड़ी रेल लाइन केर पटरी बिछाओल गेल। 2008 मे कुसहा त्रासदी आयल तेँ सहरसा-कटिहार रेलखंड मे मधेपुरा आर मुरलीगंज के बीच रेल पटरी क' बहा ल गेल छल।
एहि प्रकारे सहरसा - फारबिसगंज रेलखंड पर प्रतापगंज लग रेल पटरि पूरा तरहे ध्वस्त भ' गेल छल। रेल मंत्रालय ओहिके दुरूस्त करबाक बजाय बड़ी रेल लाइन केर पटरी बिछेबाक घोषणा केलन्हि। पहिल चरण मे राघोपुर-फारबिसगंज के बीच मेगा ब्लॉक लेल गेल छल। फेर 24 दिसम्बर, 2016 क' सहरसा-सुपौल के बीच सेहो अमान परिवर्तन लेल मेगा ब्लॉक केर घोषणा कायल गेल। हालांकि एहि बीच सहरसा-पूर्णिया के बीच पहिने सहरसा-मधेपुरा, फेर सहरसा-मुरलीगंज आर ऐहिक बाद सहरसा-कटिहार बड़ी रेल लाइन केर विस्तार करि रेल परिचालन शुरू क' देल गेल।
एम्हर सहरसा-फारबिसगंज रेलखंड मे काज प्रगति पर छल। लेकिन सहरसा-थरबिटिया के बीच एखनहुँ छोटी रेललाइन पर ट्रेन दौड़ैत नजर आइब रहल अछि। रेल मंडल प्रशासन 25 दिसम्बर से सदा के लेल मीटरगेज केर ट्रेन बंद करबाक निर्णय लेलन्हि। बड़ी रेललाइन निर्माण मे दुइ बरख समय लगबाक अनुमान अछि। एहि रेल लाइन के इतिहास पर नजर दी तेँ 1907 मे सहरसा-निर्मली-फारबिसगंज के बीच ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा छोटी रेललाइन बिछाओल गेल छल।
ओतहि 1909 मे निर्माण काज पूरा भेलाक बाद मीटरगेज ट्रेन केर परिचालन शुरू कायल गेल छल। ओहि समय कोयला आर पैन से चलाई बला इंजन के सहारे ट्रेन चलैत छल। 1934 मे आयल प्रलंयकारी भूकंप मे सुपौल से फारबिसगंज के बीच रेल पटरी ध्वस्त भ' गेल छल। जाहिक निर्माण 1934 के बाद सरायगढ़ से फारबिसगंज के बीच आर 1975 मे सुपौल से सरायगढ़ के बीच तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्रा के द्वारा कराओल गेल छल। सहरसा - थरबिटिया - फारबिसगंज आर सहरसा - थरबिटिया - दरभंगा के बीच बड़ी रेललाइन के बाद ट्रेन सभक परिचालन शुरू होयबा से ई क्षेत्र सामरिक आर व्यापारिक दृष्टिकोण से संपन्न भ' जायत।
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