अप्पन मिथिलाक इतिहास गौरवमय रहल अछि : बैजू बाबरा

अप्पन मिथिलाक इतिहास गौरवमय रहल अछि। ई जनकक गाम, सीताक धाम, विद्वानक खान, लोकक मान, कालीक प्रति निष्ठा, यश और प्रतिष्ठाक लेल जानल जाइत रहल अछि । ई क्षेत्र विदेहक त्याग, अयाची मिश्रक सिद्धान्त, शंकर सन विद्वान, मंडन-भारती सन ज्ञानी पुरुषक व्याख्यान, गोनू झाक चातुर्य कला आदिक लेल जानल जाइत रहल अछि।  
हमरा सब के यदि अहिल्या सन नारी पर गर्व अछि तऽ गौतमक संग मर्म सेहो अछि । ललित बाबु सनक कर्म पर गर्व करैछ तऽ पंडित सर गंगानाथ झा एवं हुनक पुत्र अमर नाथ झा सनक विद्वान पर स्वाभिमान सेहो अछि । गौरवमय आहाँ सब साथ में छी । आहाँक धरती आर आहाँक जन्मभूमि मिथिला सनातन सँ पान, मखान आर माछ लेल जानल जाइत रहल अछि। 

भगवान श्री राम सनक जिनक जमाई, सीता सुकुमारी सनक जिनक बेटी, हरल भरल खेत, पोखरि, नदीक अनुपम दृश्य, आम-लीची सन फल, नाना प्रकारक पक्षिक किल्लौर, प्रातः बाबाक पराती, संध्या मायक आरती, आहाँ सब मिथिला पृथक राज्य अभियानी सनक सारथी सँ मिथिला पूजित और कुंजित अछि । हम शांतशील छी । संवेदनाक रचनाकार हमहिं थिकहुँ । पहिल प्रजातंत्रक  व्यूहकार हमहिं भेलहुँ। 

गौतम बुद्ध और महावीरक जन्मस्थान एतै अछि । कौंडिल्य सन ब्राह्मणक धाम मिथिले भूमि अछि । धन्य छथि  मिथिलाक भूमि !  धन्य छथि  मैथिल जे वैदिक काल सँ एखन धरि अपन संस्कृति के समेटने आवि रहल छथि  आर हमरा आहाँ सब सन बेटा-बेटी के आगुओ समेटने चलबाक आग्रह करैछ । भगवान राम कहने छथिन "जन्मभूमिश्च स्वर्गादपी गरीयसी" अर्थात माता आर मातृभूमि स्वर्ग सँ बढ़ी के होयत अछि। महान कवी विद्यापति कहैत छैथ "देसिल बयना सब जन मिट्ठा"

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एक मात्र विकल्प से आश 

बैजू बाबरा (मैथिल सेना)  

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