मन त' बुझेयै डर, हमर छुटेयै नैहर , केकरा हम कहबय, के हमर बुझतै, मोनक दसा ई, केकरो नय सूझतै, हमरा ई भेटतै नइ घर, हमर छुटेयै नैहर , ये नवकि काकी, मैय के त देखबै, ओकर त नोरे, अहि सब पोछबै, हमरा नइ उठयै कौर, हमर छुटेयै नैहर , रौ छोटका बौआ, तू हु त अबिहै, जो कियो नइ मानो, बा के मनबिहै, हमरा नइ छोरिहै असगर, हमर छुटेयै नैहर, लेखक केँ संक्षिप्त परिचय.. नाम : अजीत झा गाम : बड़की तरौनी (दरभंगा) हिनक एकटा कविता संग्रह 'मेरा गांव मेरे खेत' हिन्दी मे प्रकाशित अछि आओर दोसर कविता संग्रह प्रकाशनाधीन अछि।