एकटा उड़नखटोला कक्का छै,
सकल्सुरत स भोलाभाला,
मुदा एकनंबर उचका छै,
सत्य कहैत हुनका बड तित लगैय,
झूठ बोलैत बड मीठ लगैय,
भीतर स छैथ ओ बिलकुल खाली,
झूठमुठमें हैंस हैंस क मारैय ताली,
घरमें छथि दू दुगो घरवाली,
मुदा हुनका मोन परैय छोटकी साली,
धुवा धोती में लगाबैय टिनोपाल,
सिल्क कुरता पैर छीट लालेलाल,
कान्हा पैर रखैय मखमल के रुमाल,
अजब गजब छै हुनक चालढाल,
सुइत उईठ भोरे भोरे करैया मधुपान,
गप मारी मारी खाय पिबैय चायपान,
चाहे दिन भैर हुनका भेटे नै जलपान ,
मुदा सैद्खन मस्त रहैय करैमे धुम्रपान,
झुठमुठ क करैया ओ रोजगारी,
चौक चौराहा बैठ क मारैय पिहकारी,
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
बड्ड बढ़िया..
जवाब देंहटाएंएक टिप्पणी भेजें
मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।