कनैत छलहूॅं माए गे माए-बाप रौ बाप
हे रौ नंगट छौंड़ा रह ने चुपचाप
नूनू बाबू कऽ ओ हमरा चुप करा दैत छलीह
एकटा तऽ ओ छलीह।
बापे-पूते के कनैत छलहूॅं कखनो तऽ
ओ हमरा दूध-भात खुआ दैत छलीह
बौआक मूहॅं मे घुटूर-घुटूर कहि ओ
अपन ऑंखिक नोर पोछि हमरा हॅसबैत छलीह।
खूम कनैत-कनैत केखनो हम बजैत छलहूॅं
माए गे हम कोइली बनि जेबउ
नहि रे बौआ निक मनुक्ख बनि जो ने
आओर कोइली सन बोल सभ के सुनो ने।
केखनो किछू फुरायत छल केखनो किछू
नाटक मे जोकर बनि बजैत छलहूॅं बुरहिया फूसि
मुदा तइयो ओ हॅंसि कऽ बजैत छलीह
किछू नव सीखबाक प्रयास आओर बेसी करी।
रूसि कऽ मुहॅं फुला लैत छलहूॅं
तऽ ओ हमरा नेहोरा कऽ मनबैत छलीह
कतो रही रे बाबू मुदा मातृभाषा मे बजैत रही
अपना कोरा मे बैसा ओ एतबाक तऽ सीखबैथि छलीह।
मातृभाषाक प्रति अपार स्नेह गाम आबि
नान्हि टा मे हुनके सॅं हम सिखलहूॅं
गाम छोड़ि परदेश मे बसि गेलहूॅं
मुदा मैथिलीक मिठगर गप नहि बिसरलहूॅं।
अवस्था भेलाक बाद ओ तऽ चलि गेलीह ओतए
जतए सॅं कहियो ओ घूमि कऽ नहि औतीह
मुदा माएक फोटो देखि बाप-बाप कनैत छी
मोन मे एकटा आस लगेने जे कहियो तऽ बुरहिया औतीह।
समाजक लोक बुझौलनि नहि नोर बहाउ औ बौआ
बुरहिया छेबे नहि करैथि एहि दुनियॉं मे
तऽ कि आब ओ अपना नैहर सॅं घूरि कऽ औतीह
मरैयो बेर मे बुरहिया अहॉं कें मनुक्ख बना दए गेलीह।
बुरहियाक मूइलाक बाद आब मइटूगर भए गेल किशन’
ओई बुरहिया के हम करैत छी नमन
अपन विपैत केकरा सॅं कहू औ बौआ
कियो आन नहि ओ बुरहिया तऽ हमर माए छलीह।
लेखक:- किशन कारीग़र
हे रौ नंगट छौंड़ा रह ने चुपचाप
नूनू बाबू कऽ ओ हमरा चुप करा दैत छलीह
एकटा तऽ ओ छलीह।
बापे-पूते के कनैत छलहूॅं कखनो तऽ
ओ हमरा दूध-भात खुआ दैत छलीह
बौआक मूहॅं मे घुटूर-घुटूर कहि ओ
अपन ऑंखिक नोर पोछि हमरा हॅसबैत छलीह।
खूम कनैत-कनैत केखनो हम बजैत छलहूॅं
माए गे हम कोइली बनि जेबउ
नहि रे बौआ निक मनुक्ख बनि जो ने
आओर कोइली सन बोल सभ के सुनो ने।
केखनो किछू फुरायत छल केखनो किछू
नाटक मे जोकर बनि बजैत छलहूॅं बुरहिया फूसि
मुदा तइयो ओ हॅंसि कऽ बजैत छलीह
किछू नव सीखबाक प्रयास आओर बेसी करी।
रूसि कऽ मुहॅं फुला लैत छलहूॅं
तऽ ओ हमरा नेहोरा कऽ मनबैत छलीह
कतो रही रे बाबू मुदा मातृभाषा मे बजैत रही
अपना कोरा मे बैसा ओ एतबाक तऽ सीखबैथि छलीह।
मातृभाषाक प्रति अपार स्नेह गाम आबि
नान्हि टा मे हुनके सॅं हम सिखलहूॅं
गाम छोड़ि परदेश मे बसि गेलहूॅं
मुदा मैथिलीक मिठगर गप नहि बिसरलहूॅं।
अवस्था भेलाक बाद ओ तऽ चलि गेलीह ओतए
जतए सॅं कहियो ओ घूमि कऽ नहि औतीह
मुदा माएक फोटो देखि बाप-बाप कनैत छी
मोन मे एकटा आस लगेने जे कहियो तऽ बुरहिया औतीह।
समाजक लोक बुझौलनि नहि नोर बहाउ औ बौआ
बुरहिया छेबे नहि करैथि एहि दुनियॉं मे
तऽ कि आब ओ अपना नैहर सॅं घूरि कऽ औतीह
मरैयो बेर मे बुरहिया अहॉं कें मनुक्ख बना दए गेलीह।
बुरहियाक मूइलाक बाद आब मइटूगर भए गेल किशन’
ओई बुरहिया के हम करैत छी नमन
अपन विपैत केकरा सॅं कहू औ बौआ
कियो आन नहि ओ बुरहिया तऽ हमर माए छलीह।
लेखक:- किशन कारीग़र
heart touching,thanx a lot 4 writing incredible poetry
जवाब देंहटाएंe kavita hirdya ke jhankrit kay delak, ekta nischhal watsalya bhavak marmik chitran kavi dwara keyal gal achhi..dhanyabad.
जवाब देंहटाएंएक टिप्पणी भेजें
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