एकटा आर झमकौआ गीत- चन्द्रशेखर कामति


दुनू परानी फूकि-फूकि पी


सारि नाम लड्डू सरहोजि नाम घी
सासु ससुरकेँ कहबनि की
बकरीक दूधमे चाहो बनैत छैक
दुनू परानी फूकि-फूकि पी॥


सूति उठि लिअ श्रीमतीजीक नाम
छोड़ू कहनाइ बाबिइ जय सियाराम
छुच्छे फुटानी इजोरियामे टॉर्च
सठि गेल अन्हरियामे सभ बैटरी॥


मोट-मोट रोटी खेसारीक दालि
जलखैमे तोड़ै छलहुँ मकइक बालि
घिवही कचौड़ीपर चोटे करै छी
मौगीक बड़द बेकार बनै छी॥


भऽ गेल दुरागमन की ठेही भेल दूर
देखू गृहस्थी आ फाँकू चनाचूर
राति दिन तेरहो तरेगन गनै छी
कनै अछि मौगी मेटाएलि सिनूर
देखू ने चेहरापर तेरह बजै अय
रोटीपर नीमक अचार गनै छी॥

2 टिप्पणियाँ

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