मिथिलेश कुमार राय केर दू गोट कविता

कथादेशक नवलेखन अंक सँ हिंदी पाठकक सोझां आबय वाला मिथिलेश कुमार राय कविता आ कथा दोनो विधा मे सामान रूप सँ सक्रिय छथि. मैथिली केर पढ़ौनी आ लिखौनीक खगता वाला माहौल मे पलल बढ़ल हेबाक कारणें मैथिली मे रचनात्मक क्रिया कलाप करबा मे परेशानी केर अनुभव होइत छन्हि, संकोच सेहो ! मुदा बेर-बेरक उत्साह वर्धन आ किछु मित्र सबहक सहयोगक बलें एम्हर मैथिली लेखन दिस गंभीरता सँ प्रवृत्त भेला य'.
भारतीय भाषा परिषद सँ पुरस्कृत हिनक दू गोट छोट-छोट हिंदी कविताक अनुवाद प्रस्तुत करैत प्रसन्नताक अनुभव भ'रहल अछि !कविता वागर्थ - नवम्बर 2007 सँ साभार लेल गेल अछि . हमरासभ ई आशा क' सकैत छी जे मिथिलेशक मूल मैथिली रचना शीघ्रे पढ़बा लेल भेटत ! अनु. -कुमार सौरभ .

ईश्वरक संतान

आइ
जखन ऊपर सँ टूटि गेल अछि
अपना सबहक सम्पर्क
आ बन्न भ'गेल अछि
ग्रंथक रचल जेनय
की एखनहु जनमैत हेतैक
देवता सबहक ओहिठाम संतान
की राखल जाइत हेतैक ओकर सबहक नाम
की ओहो सब अपन पहचान लेल छटपटैत हेतैक

अपन जुआनीक दिन मे
पोखरिक कात बैसि
चुपचाप गिट्टी फेकैत रहैत हेतैक
पानि मे !


बच्चा भगवान होइत अछि*

जे भगवान होइत छथि
भस्म क' सकैत छथि
चक्र चला हलालि सकैत छथि गरदनि
भगवान पाथर बना सकैत छथि
अभिमंत्रित जल छीटि
किछु केर किछु क' सकैत छथि भगवान

बच्चा खाली कानि सकैत अछि
हिचकि-हिचकि
सूति जेबाक लेल !


(* तात्कालिक निठारी कांड आ बाल शोषण सँ व्यथित कविक अभिव्यक्ति .)

3 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. अपन जुआनीक दिन मे
    पोखरिक कात बैसि
    चुपचाप गिट्टी फेकैत रहैत हेतैक
    पानि मे !
    neek lagal anuvad

    जवाब देंहटाएं
  2. badd neek aa gambhir anuvad. aasha achi je ray ji jaldie mool maithili me likhtah.

    जवाब देंहटाएं

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