हाइकू

हाइकू


(१)
तारा दूरसँ
बुझाइत कतेक शीतल
वास्तवमे जड़ैत
(२)
शाखासँ लागल
पुष्प आ पत्रसँ आच्छादित
अछि लता झूलैत
(३)
पक्षी विश्राम कएल
बड़का यात्राक उपरान्त
एखनो जे अपूर्ण
(४)
अद्भुत अपवाद छैक
नागफनीक कॉँटक बीच
कुसुम खिलायल
(५)
नीलांबरमे मेघ
विचरैत अछि कोना जेना
सागरमे होए शार्क
(६)
भावी संकटक
पशु पक्षीमे पूर्वाभास
प्रभुक दिव्य आशिष
(७)
कोमल पंखुड़ी
सुगन्धक संग सजाओल
एक पुष्पक रूपमे
(८)
नदीक तरंग
ओहिना लागैत अछि जेना
ओकर घुरमल केश
(९)
दूटा पसरल पाँखि
बाज उड़ऽ लेल तैयार अछि
पूर्ण रूपसँ जागरूक


(१०)
पहाड़ीक ढलान
ताहिपर एकमात्र गाछक छाह
भेल यात्रीक विश्राम
(११)
संध्याक बेला
सुनसान आ शान्त पोखरिक कात
एक एकान्त स्थान
(१२)
मेघ रूपी बर्फमे
अछि हवाइ जहाज पिछड़ैत
आकाशमे विचरैत
(१३)
कठोरतम भूमि
समुद्रक छोरपर बसल
अछि पाथरक किनार
(१४)
विलक्षण अपवाद
आकाश जरैत संध्याकाल
समुद्रक उपरि
(१५)
पहाड़सँ उदित
सूर्यसँ आकाश भेल जागृत
ज्वालामुखी सन
(१६)
उगैत सूर्य संगे
आयल अंधकारक उपरान्त
अंतहीन दिनक आस
(१७)
दिवस आब थकल
रातिक स्वागतमे लीन साँझ
मिझाइत सूर्य दीप
(१८)
गाछ भने हरियर
ग्रीष्मोमे देखू पतझड़
भोरक आकाशमे
(१९)
पक्षीक चहक
आ आकाशक लाली संग
प्रकृति जागल
(२०)
अतिसुन्दर जाड़
मेघक घिस घिस छिड़यौलक
हिमपातक रूपमे
(२१)
तैयार उड़ऽ लेल
पक्षी विश्रामसँ जागल
वा अछि शुरूआत
(२२)
पक्षीक निरीक्षण
छूटल अन्नक फेरमे
कटनी भेलाक बाद
(२३)
फूलक हुँजक बोझ
शाखाकेँ झुका रहल
बसंत आयल अछि
(२४)
तितलीक पंख
अंकित रंग बिरंग आकार
प्रभुक चित्रकला
(२५)
मनुष लेल कठिन
किन्तु जीवन ओतहु अछि
शीतलतम स्थान
(२६)
उच्चतम शिखरसँ
धोन्ही भरल हरियर घाटी
निहारक इच्छा
(२७)
विभिन्न प्रकारक
घास पात जमीनपर उगल
आइरसँ दूर बँचल।
(२८)
ओसक बूँद पाबि अछि
घासक फुनगी आह्‌लादित
हीरा सन चमकैत
(२९)
बाहर घूमऽ निकलल
बतख अपन बच्चा संग
गर्मीक दिनमे
(३०)
बतख हेलि रहल अछि
पानिक ऊपरी सतह पर
लक्ष्यक दिस निरंतर
(३१)
स्प्रेसो
आस्ते पिबऽ लेल
गर्म देल गेल
(३२)
ईश्वरकेँ तकनाइ
नहि कठिन पाबू ओकरा
पवित्र हृदयमे
(३३)
दृष्टि भ्रमणमे
घाटीपर दूर दूर धरि
भटकि सकैत अछि
(३४)
घोड़ा भटकि रहल
उद्देश्यहीन बिन घुड़सवार
भेल अनुशासनहीन
(३५)
स्थिर पानिमे
प्रकृतिक प्रतिबिम्ब
साफ मुदा उलटा
(३६)
प्राकृतिक दृश्य
पानिक प्रतिरूप बिना
अपूर्ण बुझाइत अछि।
(३७)
पतझड़क पात
पसारलक अप्पन सतरंजी
हरियर घास बदला।
(३८)
समुद्रक तहमे
विभिन्न आकार प्रकारक
रंग बिरंग जीवन।
(३९)
नटखट समुद्र
तटक आरामसँ वंचित
कएने बेर बेर तंग।
(४०)
पहाड़क चोटी
आर बेसी ऊँच लागैत अछि
गहींर घाटीक बीच
(४१)
पोखरिमे देखू
प्रकृतिक प्रतिबिम्ब
उलटल बुझाइत अछि
(४२)
तितलीगण उतरल
पंखरूपी पैराशूट लऽ
फुलक झुण्डपर।
(४३)
उच्चतम शिखरपर
गुफासँ दृष्टिगोचर
होइत रमणीय दृश्य
(४४)
बच्चाक संग खेलमे
एकेटा खुशीक आभास
ओकर किलकारी
(४५)
टेढ़ मेढ़ रेखा अछि
बरसातक बहैत पानिसँ
खिड़कीक काँचपर बनल
(४६)
बादलसँ छनल
समुद्रक लहरिक तरंग
उपर चमकैत किरण
(४७)
पानिक तरंगकेँ
पक्षी बदलि रहल अछि
कलरवक लयमे
(४८)
मरुस्थलमे रेत
अछि हवासँ बहारल
सतह भेल समतल
(४९)
कतेक बेसी ध्यान
पातक प्रारूप देबऽमे
ईश्वर देने छथि
(५०)
बरसात खतम भेल
पानि तइयो झरि रहल अछि
गाछक पात सभसँ
(५१)
समुद्रक लहरि
बराबरि टकरा रहल
पाथर तइयो स्थिर
५२
मनोरम दृष्य
जेना चिन्नीक चाशनीमे लिप्त
अछि गाछ जाड़मे
(५३)
अपने रंगहीन अछि
गाछकेँ रंगीन बनौलक
नीचा गड़ल जड़ि
(५४)
शीतल प्रकाश युक्त
सुर्योदयक पहिनेक समय
सर्वोत्तम काल
(५५)
पाँखिक शाल ओढ़ने
प्रकृतिक भ्रमण हेतु
पक्षी निकलल जाड़मे
(५६)
चिडैय़ाक बच्चा
माए बाप संगे अछि ताबे
जाबे पंख नहि छैक।
(५७)
प्रवासी पक्षी
मीलक मील उड़ि कऽ आयल
गर्मीक आनन्द लेल।
(५८)
उछलैत पानि
नदीसँ भेँट लेल
खसल झरनाक रूपमे ।
(५९)
नागफणीक गाछ सभ
मरुस्थलमे सेहो अछि
मजगूतीसँ ठाढ़।
(६०)
कठोर पातसँ लिप्त
नागफनीक चोटीपर अछि
कोमल फूलक ताज
(६१)
आर सजायल गेल
कैक रंगक फूल आ लाइटसँ
क्रिसमसक साँझमे
(६२)
एक नारिकेरक फल
कठोर केशयुक्त कवचमे
मीठ उज्जर फल अछि
(६३)
भुखाएल बगुला
नदीक कातमे ठाढ़ अछि
माछक ताकिमे
(६४)
अतिथिक आगमन
कौआक कर्कश काँव काँवसँ
पूर्वसूचित भेल अछि
(६५)
सागरमे डॉलफिन
खतरनाक जीवक बीचमे
मनुषक साथी
(६६)
जिग ज़ैग ध्वनि केँ
गाड़ी दोहरा रहल अछि
भीजल सड़क पर
(६७)
भूकम्पक श्राप अछि
अज्ञात अपराधक सजा
मनुषकेँ भेटल
(६८)
छोट किन्तु तेज अछि
अपन लक्ष्य चिन्हऽमे
भड़ल भीड़क बीच
(६९)
समुद्रक नीचाँ
कतओ जायकाल रहैए
छोट माछ सभ झुण्डमे
(७०)
अंगूरक फल अछि
मीठ जेल जमाकऽ रखने
छोट छोट आकारमे
(७१)
स्वर्ग सदृश दृश्य
हरियर प्राकृतिक संग
चिड़ैआक कलरव
(७२)
राति हुअक पहिने
आकाश दहकि रहल
सूर्यास्तक पहिने
(७३)
खिलखिलाइत झरना
मधुर ध्वनि घोरि रहल
चारू दिशामे
(७४)
सूर्यक अएलापर
रातिक अन्हार भागि गेल आ
भोर शुरु भऽ गेल
(७५)
छाया उपर्युक्त अछि
गोबरछत्ताकेँ उगऽ
आ पसरऽ लेल
(७६)
एकटा पओलाक बाद
खरहा फेर भागि रहल अछि
आर भोजन लेल
(७७)
गाछक स्वर्णिम रंग
पतझड़क आगमनक
घोषणा अछि करैत।
(७८)
गरमीक ऋतु
कहॉँ ओतेक दुखद अछि
शुरुक दिनमे
(७९)
स्वयम्‌ सिद्ध मकरा
अपन सुरक्षा हेतु
जाल अछि बुनैत
(८०)
कोनो आकारमे
ढलि जाएत पानि मुदा गहराइ
एकर अपन गुण
(८१)
आकाश अखनो ऊँच
बादल पहुँचमे बुझाएल
ई धुन्धक रूपमे
(८२)
रातिमे इजोत दैत
बर्फसँ परावर्तित होइत
प्रकाशपुँज जाड़मे
(८३)
लुक्खी सभ निकलल
अपन घड़सँ आलस त्यागि
वसन्त ऋतुमे
(८४)
सोन सन सूरज भेल
उज्जर चमकैत हीरा सन
दिनक अएलापर
(८५)
गाछ सभ अछि होड़मे
सभसँ पहिने पाबऽ लेल
सुरुजक रोशनी
(८६)
एकटा मन्दिर अछि
खजूरक गाछक भीड़मे
एक पोखरि कातमे
(८७)
सुखाएल छोट पातसभ
गाछसँ नीचाँ खसैत अछि
नबकेँ अवसर दैत
(८८)
गाछक शाखासभ
अतेक ऊँचाइपर पसरल
जड़ि ततबे गहींर
(८९)
भोरक अयलापर
गाछपर लादल ओस भेल अछि
चमकैत हॅँसी सन
(९०)
सोन सन कम्बल अछि
ओढ़ने गहुमक खेत सभ
कटाइक पहिने
(९१)
चक्रवातीय पवन
जीवनसंहारक बनि गेल
जीवनरक्षक छल।
(९२)
प्रदान करैत अछि
पक्षी आ हरिण सभकेँ
गाछ आ वृक्ष आश्रय
(९३)
फूलसँ भरल अछि
एकटा घाटी एहन अछि
जेना खुशी मुस्काइत।
(९४)
पानि बढ़ि रहल
रस्ताक गाछ आ पाथर सभ
बिदा करैत ठाढ़
(९५)
जाड़क गाछ अछि ठाढ़
वसन्तक प्रतीक्षामे
पात सभसँ भिन्न भऽ

2 टिप्पणियाँ

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