अहाँ
मस्जिदकें
मन्दिरमे बदलि देलिऐ
अहाँ ओहिमे
राता-राती रोपि देलिऐ लिंग
टाँगि देलिऐ घण्टी
बजब’ लगलहुँ घड़ीघण्ट
गाब’ लगलहुँ आरती
हे नरेन्द्र
अजानक विरोधमे
खतना कएल हजारक हजार जान लेलाक बाद
की अहाँ कहि सकै छी
अहाँक देवताक लिंग खतल नहि छनि
मस्जिदकें
मन्दिरमे बदलि देलिऐ
अहाँ ओहिमे
राता-राती रोपि देलिऐ लिंग
टाँगि देलिऐ घण्टी
बजब’ लगलहुँ घड़ीघण्ट
गाब’ लगलहुँ आरती
हे नरेन्द्र
अजानक विरोधमे
खतना कएल हजारक हजार जान लेलाक बाद
की अहाँ कहि सकै छी
अहाँक देवताक लिंग खतल नहि छनि
बड मार्मिक रचना अछि।
जवाब देंहटाएंसंक्षिप्त,सारगर्भित आ विचारोत्तेजक।
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