चान सनक छथि हमर बहिन
छथि लाख में एक हमर बहिन
देवी सन छथि रूप सजौने
ममता के मूर्ति हमर बहिन
बैदेही जनक लली सती सीता
सावित्री छथि हमर बहिन
फूल सन कोमल खिलैत एली
अपन वव्याहर स समानित भेलीह हमर बहिन
छथि चान .............................
जहिया स एली ओ अहि घर में
गंगा जल सन निर्मल हमर बहिन
सब के हसेलनी खूब बजेलनी
शान बधेलनि हमर बहिन
अपना मधुरगर बोली आ बिचार स
सव के लुभेलनी हमर बहिन
चान सनक ....................................
भेलानी विवाह बनी गेलीह पराया
दुनु आंखी में नोर भरी गेलीह हमर बहिन
जनकक अंगना सुन लगे छानी
हमरा तेजी गेली हमर बहिन
जाऊ ये दुलरी ससुरक हवेलिया
कुलक मर्यादा राखब हमर बहिन
चान सनक ...................................
बाबा माथक पाग के राखब बचा
बाबु क लाज राखब हमर बहिन
सॉस ससुर के माय बाप बुझी
कर्बैंह खूब सम्मान हमर बहिन
छि जग जननी क रूप अहाँ
राखब मिथिलाक सम्मान हमर बहिन
छथि चान सनक हमर बहिन ..........
छथि लाख में एक हमर बहिन
देवी सन छथि रूप सजौने
ममता के मूर्ति हमर बहिन
बैदेही जनक लली सती सीता
सावित्री छथि हमर बहिन
फूल सन कोमल खिलैत एली
अपन वव्याहर स समानित भेलीह हमर बहिन
छथि चान .............................
जहिया स एली ओ अहि घर में
गंगा जल सन निर्मल हमर बहिन
सब के हसेलनी खूब बजेलनी
शान बधेलनि हमर बहिन
अपना मधुरगर बोली आ बिचार स
सव के लुभेलनी हमर बहिन
चान सनक ....................................
भेलानी विवाह बनी गेलीह पराया
दुनु आंखी में नोर भरी गेलीह हमर बहिन
जनकक अंगना सुन लगे छानी
हमरा तेजी गेली हमर बहिन
जाऊ ये दुलरी ससुरक हवेलिया
कुलक मर्यादा राखब हमर बहिन
चान सनक ...................................
बाबा माथक पाग के राखब बचा
बाबु क लाज राखब हमर बहिन
सॉस ससुर के माय बाप बुझी
कर्बैंह खूब सम्मान हमर बहिन
छि जग जननी क रूप अहाँ
राखब मिथिलाक सम्मान हमर बहिन
छथि चान सनक हमर बहिन ..........
(अहांक प्रिये ॥ मैथिल पुत्र,॥)
ललित नारायण झा
ललित नारायण झा
मोबाईल नंबर: +919681199649, +919681899869
ललितजी मैथिल आर मिथिलामे अहाँक स्वागत अछि।
जवाब देंहटाएंभेलानी विवाह बनी गेलीह पराया
जवाब देंहटाएंदुनु आंखी में नोर भरी गेलीह हमर बहिन...
Lalitji apnek rachna dil ka chhu lelak...
चान सनक छथि हमर बहिन
जवाब देंहटाएंछथि लाख में एक हमर बहिन
Wah... wah.... apnek katbo tariff kari Lalitnarayanji kame het.....
ललितजी हम अहाँक सभ रचना पढलो अहाँक लेखनिक एक अलगे अंदाज अछि ! अहिना माँ जननी, माँ मिथिलाक लेल लिखैत रहू ....
जवाब देंहटाएंहमर शुभ - कामना अछि ....
अमरकांत झा
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