भ्रष्टाचार अँहिक खूरक प्रतापे
दुराचार अँहिक खूरक प्रतापे
लोक पढ़ैए जान अरोपि कए
मुदा बेकार अँहिक खूरक प्रतापे
जनबल- धनबल आरो बल-बल
सरकार अँहिक खूरक प्रतापे
इद्धुत-विद्धुत सभटा फेल करबै की
अन्हार अँहिक खूरक प्रतापे
हाथ मिलाउ गरा लगाउ तैओ सभ
अनचिन्हार अँहिक खूरक प्रतापे
प्रयास निके अछि...मुदा इ रचना के ग़ज़लक संज्ञा देबि उचित नै!
जवाब देंहटाएंGautam ji ee rachna gazal nahi ta ki achhi ?
जवाब देंहटाएंवत्स जी,
जवाब देंहटाएंई कविता छै या जे भी छै, मुदा ग़ज़ल नै छै। ग़ज़लक अपन शास्त्र होय चै, अपन व्याकरण, अपन छंद होय छै...
हम गौतम जीक गप्प सँ पू्र्ण सहमत छी जे गजलक शास्त्र होइत छैक, व्याकरण आ छंद होइत छैक। मुदा कोन शास्त्र, व्याकरण आ छंद छैक से गौतम जी खुलि कए नहि कहि रहल छथि। मैथिली मे बड़का विडंबना छैक जे कोनो गप्प के त लोक काटि दैत छैक मुदा ओ तर्क पर आधारित नहि रहैत छैक। हम गौतम जी सँ ई आशा करैत छी जे ओ हमरा लोकनि के एही ब्लागक माध्यमे गजलक शास्त्र, व्याकरण एवं छंदक जानकारी देताह । कम सँ कम एहि बहन्ने मैथिली गजलक स्वरूप त निर्धारित हेतैक। उत्तरक आशा मे बाट जोहैत-----------------
जवाब देंहटाएंHAMRO GAUTAM JEE SAN ASHA ACHI JE O UTTAR DETAH.
जवाब देंहटाएंहम मैथिल छि...मैथिली जनै छि...मैथिली बजै छि, मुदा लिखबा म तनिक कष्ट हो ऐछि। हम अपने ग़ज़लक छात्र छि आ ग़ज़ल कहब सीख रहैल छि....कनिक-मनिक पहिचान बनल अछि से कि किछ ग़ज़ल सब हिंदी के पत्रिका सब म छपि गेल....हमरा मुन त बड भ रहल ऐछ कि गज़ल छंद आ शास्त्र आ व्याकरण स जुड़ल जानकारी जतबा हम जनि छि तकरा साझा करु....कोशिश करब निकट भविष्य म....
जवाब देंहटाएंआशिष जी स विनति कि हमर बात के अन्यथा नै लेता....
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