गजल
अनका रोकबाक चक्कर मे अपने रुकि गेलहुँ
अनका बझएबाक चक्कर मे अपने बझि गेलहुँ
करेजक उत्फाल इ नहि छल बुझल हमरा
अनका बसएबाक चक्कर मे अपने बसि गेलहुँ
एतेक गँहीर हेतैक खाधि-खत्ता थाह नहि छल
अनका खसएबाक चक्कर मे अपने खसि गेलहुँ
माथक भोथ मुँहक चोख सभ दिनुका छी हम
अनकर कहैत-कहैत अपने कहि गेलहुँ
मिडिआक प्रभाव एतेक विस्तार मे नहि पूछू
अनका चिन्हा अपने अनचिन्हार रहि गेलहुँ
अनका रोकबाक चक्कर मे अपने रुकि गेलहुँ
अनका बझएबाक चक्कर मे अपने बझि गेलहुँ
करेजक उत्फाल इ नहि छल बुझल हमरा
अनका बसएबाक चक्कर मे अपने बसि गेलहुँ
एतेक गँहीर हेतैक खाधि-खत्ता थाह नहि छल
अनका खसएबाक चक्कर मे अपने खसि गेलहुँ
माथक भोथ मुँहक चोख सभ दिनुका छी हम
अनकर कहैत-कहैत अपने कहि गेलहुँ
मिडिआक प्रभाव एतेक विस्तार मे नहि पूछू
अनका चिन्हा अपने अनचिन्हार रहि गेलहुँ
sundar rachanaa. bahut neek.
जवाब देंहटाएंआशीष जी,
जवाब देंहटाएंएहन बढ़िया ग़ज़ल लिख्लाहूँ एही लेल बधाई...
एक टिप्पणी भेजें
मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।