मायानन्द मिश्र-मूल्य/ अपन गाम

मूल्य

दूबर पातर छोट-छीन इजोतक टुकड़ी
महाकाय महादानव अन्हारसँ लड़ैत लड़ैत
थाकि रहल अछि
अंग प्रत्यंग टूटि रहल छै
समर्थन लेल एम्हर ओम्हर तकैत अछि
तकैत अछि दूबर पातर छोट-छीन
एसगर इजोतक एकटा टुकड़ी।
टुकड़ीक मोनमे निश्चयक एकटा विस्तृत आकाश अछि
ई लड़त,
अन्त धरि लड़त
एसगरो लड़त, लड़िते रहत
‘अन्हार’कें परास्त करत
निश्चय करत
दूबर-पातर
छोट-छीन
इजोतक ई टुकड़ी।


अपन गाम

अपन ई गाम अपन गाम सन ने लागैत अछि ।

जीबैत लोक आई बेर बेर मरैत अछि ।

बिसरी गेलै हंसी करब दलान आँगन सँ

हंसी देखैक लेल लोक आई हँसैत अछि ।

ओकनी गेलै मेह्दिक गाछ आँगन सँ

सादिक नोर युगक लेख आई बनैत अछि

कतेक लोक मे कतेक लोक अछि असगर

उदास पल दिनुक निराश राती गनैत अछि ।

छिना गेले हंसी कतेक आई खरिहानक

सिमान गाम केर कते उदास रहैत अछि

अन्हार खोह सँ कते अपन इजोत तकैत अछि

दिनक लहास नेने फेर भोर अबैत अछि ।


1 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. nik prastuti

    मायानन्द मिश्र-मूल्य


    दूबर पातर छोट-छीन इजोतक टुकड़ी
    महाकाय महादानव अन्हारसँ लड़ैत लड़ैत
    थाकि रहल अछि
    अंग प्रत्यंग टूटि रहल छै
    समर्थन लेल एम्हर ओम्हर तकैत अछि
    तकैत अछि दूबर पातर छोट-छीन
    एसगर इजोतक एकटा टुकड़ी।
    टुकड़ीक मोनमे निश्चयक एकटा विस्तृत आकाश अछि
    ई लड़त,
    अन्त धरि लड़त
    एसगरो लड़त, लड़िते रहत
    ‘अन्हार’कें परास्त करत
    निश्चय करत
    दूबर-पातर
    छोट-छीन
    इजोतक ई टुकड़ी।

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