मूल्य
दूबर पातर छोट-छीन इजोतक टुकड़ी
महाकाय महादानव अन्हारसँ लड़ैत लड़ैत
थाकि रहल अछि
अंग प्रत्यंग टूटि रहल छै
समर्थन लेल एम्हर ओम्हर तकैत अछि
तकैत अछि दूबर पातर छोट-छीन
एसगर इजोतक एकटा टुकड़ी।
टुकड़ीक मोनमे निश्चयक एकटा विस्तृत आकाश अछि
ई लड़त,
अन्त धरि लड़त
एसगरो लड़त, लड़िते रहत
‘अन्हार’कें परास्त करत
निश्चय करत
दूबर-पातर
छोट-छीन
इजोतक ई टुकड़ी।
दूबर पातर छोट-छीन इजोतक टुकड़ी
महाकाय महादानव अन्हारसँ लड़ैत लड़ैत
थाकि रहल अछि
अंग प्रत्यंग टूटि रहल छै
समर्थन लेल एम्हर ओम्हर तकैत अछि
तकैत अछि दूबर पातर छोट-छीन
एसगर इजोतक एकटा टुकड़ी।
टुकड़ीक मोनमे निश्चयक एकटा विस्तृत आकाश अछि
ई लड़त,
अन्त धरि लड़त
एसगरो लड़त, लड़िते रहत
‘अन्हार’कें परास्त करत
निश्चय करत
दूबर-पातर
छोट-छीन
इजोतक ई टुकड़ी।
अपन गाम
अपन ई गाम अपन गाम सन ने लागैत अछि ।
जीबैत लोक आई बेर बेर मरैत अछि ।
बिसरी गेलै हंसी करब दलान आँगन सँ
हंसी देखैक लेल लोक आई हँसैत अछि ।
ओकनी गेलै मेह्दिक गाछ आँगन सँ
सादिक नोर “युगक लेख आई बनैत अछि
कतेक लोक मे “कतेक लोक अछि असगर
उदास पल दिनुक “निराश राती गनैत अछि ।
छिना गेले हंसी कतेक आई खरिहानक
सिमान गाम केर कते उदास रहैत अछि
अन्हार खोह सँ कते “अपन इजोत तकैत अछि
दिनक लहास नेने फेर भोर अबैत अछि ।
nik prastuti
जवाब देंहटाएंमायानन्द मिश्र-मूल्य
दूबर पातर छोट-छीन इजोतक टुकड़ी
महाकाय महादानव अन्हारसँ लड़ैत लड़ैत
थाकि रहल अछि
अंग प्रत्यंग टूटि रहल छै
समर्थन लेल एम्हर ओम्हर तकैत अछि
तकैत अछि दूबर पातर छोट-छीन
एसगर इजोतक एकटा टुकड़ी।
टुकड़ीक मोनमे निश्चयक एकटा विस्तृत आकाश अछि
ई लड़त,
अन्त धरि लड़त
एसगरो लड़त, लड़िते रहत
‘अन्हार’कें परास्त करत
निश्चय करत
दूबर-पातर
छोट-छीन
इजोतक ई टुकड़ी।
एक टिप्पणी भेजें
मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।