अटकन-मटकन- बाल-कविता-4


एक टा पुरान मैथिली फकरा प्रस्तुत क रहल छी. दाय आ नानी के मुहं स सुनैत-सुनाबैत ई फकरा के एखनो गाम-घर के बच्चा गाईव क खेलाइत-धुपाइत अछि।


अटकन मटकन
दहिया चटकन
केरा कुश
महागर जोहागर
पुर्णि पत्ता

हिलय डोलय
माघ मास
करैला फरय
ई करैला नाम की
आमुन गोटी
जामुन गोटी
तेतरी सोहाग गोटी
बांस कटय
ठाँय ठाँय
नदी गोगियायल जाय
कमलक फूल दूनु
अलगल जाय
छोटी रानी
जेठी रानी
गेली नहाय
इछुवा बिछुवा
लय गेल चोर
आब कि पहिरती
कौवा के ठोर
कौवा के ठोर में पिलुवा
आव कि पहिरती सिलुवा।


10 टिप्पणियाँ

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

  1. bacho sabhak prati ehi blogak mon me utsah dekhi mon hariyar bhay gel, bujhu bachcha bhay gelahu

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  2. bad nik bhai
    अटकन मटकन
    दहिया चटकन
    केरा कुश
    महागर जोहागर
    पुर्णि पत्ता
    हिलय डोलय
    माघ मास
    करैला फरय
    ई करैला नाम की
    आमुन गोटी
    जामुन गोटी
    तेतरी सोहाग गोटी
    बांस कटय
    ठाँय ठाँय
    नदी गोगियायल जाय
    कमलक फूल दूनु
    अलगल जाय
    छोटी रानी
    जेठी रानी
    गेली नहाय
    इछुवा बिछुवा
    लय गेल चोर
    आब कि पहिरती
    कौवा के ठोर
    कौवा के ठोर में पिलुवाआव कि पहिरती सिलुवा।

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