अहंकार
आ महत्त्वाकांक्षा
जखन
विवेकक सीमामे नहीं अँटैछ,
महाभारत-
तखने मचैछ।
पुत्र-मोहमे पड़िक'
आनक हिस्सा हड़पैए
जखन आन्हर धृतराष्ट्र
द्रोपदीक अपमानसँ
लज्जित होइत अछि;
जखन सम्पूर्ण राष्ट्र;
सम्पत्ति
आ शक्तिक मदमे
जखन दुर्योधन
नँगटे नचैछ;
महाभारत-
तखने मचैछ।
आ महत्त्वाकांक्षा
जखन
विवेकक सीमामे नहीं अँटैछ,
महाभारत-
तखने मचैछ।
पुत्र-मोहमे पड़िक'
आनक हिस्सा हड़पैए
जखन आन्हर धृतराष्ट्र
द्रोपदीक अपमानसँ
लज्जित होइत अछि;
जखन सम्पूर्ण राष्ट्र;
सम्पत्ति
आ शक्तिक मदमे
जखन दुर्योधन
नँगटे नचैछ;
महाभारत-
तखने मचैछ।
बिलट पासवान 'विहंगम' जीक एहि रचनाक प्रस्तुति लेल साधुवाद।
जवाब देंहटाएंnik prastuti
जवाब देंहटाएंbad nik
जवाब देंहटाएंsatte kahlahu
जवाब देंहटाएंबड नीक
जवाब देंहटाएंबहुत नीक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंएक टिप्पणी भेजें
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