मिथिला - भास्करानन्द झा भास्कर

मिथिला

हम छी मिथिलाक भिखमंगा
मांग रहल छी विकासक भीख
हाथ में लेने बाटी - कटोरी
चौबटिया पर छी नंगटे ठाढ़
जेना सुखायल हरियर गाछ !!!

मिथिलाक जे छल धरोहर
करै छल सगर विश्व गुणगान
पान पड़ा गेल , मखान सुखा गेल
गामक पोखरि अछि पड़ल उदास
आर बिन पानिक छरपटाए माछ !!!

भास्करानन्द झा भास्कर

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