फ़ेसबुकिया पति (कविता)



केहन मनुखसं पड़िगेल पल्ला
सगरो भए गेल छुच्छे हल्ला !

फ़ेसबुक पर दिन भरि बैसल
धड़ खसौने वो असगर बैसल
घरमें भेल मुंह फ़ुल्ली-फ़ुल्ला
केहन मनुखसं पड़िगेल पल्ला
सगरो भए गेल छुच्छे हल्ला !

मुंह मोड़ि, सब काज छोड़ि,
दिनचरजा के देलखिन तोड़ि
आब प्रियतम भेल निठल्ला
केहन मनुखसं पड़िगेल पल्ला
सगरो भए गेल छुच्छे हल्ला !

कनफ़ुकबामें मुंह-कान सटौने
मूस-पीठके सदिखन मूठियेने
सीन देखिकए फ़ूटे हंसगुल्ला
केहन मनुखसं पड़िगेल पल्ला
सगरो भए गेल छुच्छे हल्ला !

धिया पुता के भेल आजादी
सच पुछू त भविष्यक बरबादी
ककरो अलगे ने कोनो कल्ला
केहन मनुखसं पड़िगेल पल्ला
सगरो भए गेल छुच्छे हल्ला !

घरक कनिया तनिया मुनिया
नून, हरदि, दालि मूंग ,धनिया
भंसा घरक खाली भेल गल्ला
गृह-कलह जानल सब मोहल्ला
केहन मनुखसं पड़िगेल पल्ला
सगरो भए गेल छुच्छे हल्ला ।

- भास्कर झा 20 जुलाई 2012

Post a Comment

मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।

और नया पुराने