कटिहार। भारत के विविधता में एकता वाला देश कहल जाइत अछि। ताहि स कनिको कम विविधता हमर मिथिला में सेहो नै भेटैत अछि। कटिहार शहर में होलिका दहनक' एक अलग परंपरा कायम अछि। एतेह होलिका दहनक' अगुआई मारवाड़ी समाजक' महिलाएं द्वारा केएल जाइत अछि। असत्य पर सत्यक' विजय के एही आयोजन में नारी सम्मानक' मौन मंत्र सदा स' गुंजायमान रहल अछि।
शहर के बड़ा बाजार में होलीक' पूर्व संध्या पर होलिका दहनक' परंपरा 118 साल पुराण अछि। घऱ में खास तौर पर तैयार कैल गेल गए गोइठा (उपलों) स' होलिका दहन केएल जाइत अछि। साँझ होइएते महिला रंग-बिरंगा परिधा में होलिका दहन स्थल पर पहुंचक' परिक्रमा के बाद विधि-विधान स' एही रस्म पूरा करैत छैथ।
होलिका दहन के पूर्व दिन में महिला पूजा के लेल जाइत छैथ। महिला द्वारा विधिवत पूजा के संग पकवान चढ़ाओल जाइत अछि। होलिका में प्रह्लाद के रूप में आमक' गाझ चढ़ाओल जाइत अछि। नवविवाहित स्त्रि होलिका के परिक्रमा करैत छैथ। महिला होलिका दहन के बाद ओहिठामक' राख के एकत्रित क' दोसर दिन स' गणगौर के पूजा आरंभ करैत छैथ। एही होलिका दहन के देखबाक लेल दूर-दूर सs लोक आबैत छैथ।