अप्पन मिथला घाम सँ सुन्नर कोनो धाम नहि मुदा, मैथिल मजबूर छथि पलायन करबाक लेल। पलायन करबाक कारण एता रोजगार, शिक्षा के नीक व्यवस्था नहि अछि। हर तरहक कमी अप्पन मिथिला म' होयबाक कारण सब मैथिल पलायन क' रहल छथि। जे नवतुरिया सभ सांझ होयते चौक चौराहा पर भेटैत छला सभके सभ आए परदेश के लेल विदा भ' गेला। किनको जेबाक इच्छा नहि छलनि मुद्दा, मजबूरी बस सभके सभ विदा भ' गेला।
आखिर कतेक दिन धक्का खेए पड़त मैथिल क'? आए गामक ओहि माता - पिता सँ पुछु जकर करेजक टुकड़ा आए जखन हुनकर सेवा करबाक समय आयल तेँ ओ अप्पन माता - पिता सँ हजारो किलोमीटर दूर दिल्ली, मुम्बई, आ आन शहर चल देला। आए ओहि माता - पिता क' अप्पन करेजक टुकड़ा सँ दूर होयबाक कतेक दुःख जाहिक वर्णन नहि कायल जे सकैत अछि। परदेश जेनिहार मैथिलक घर के हाल जूनि पुछु आए केओ घर म' भोजन नहि केलनि।
हम अप्पन गप की कहूं ? हमर सभ मित्र, बंधु परदेश लेल निकैल गेला, हम असगर गाम म' रही गेलहुँ। आब हमरो गाम म' अगबे माछी के भिन भिनाहट के सिवा आओर किछु नहि सुनाए दैत अछि। किछु दिनक बाद अप्पन बेवसी संग हमहुँ परदेश लेल अप्पन मांटी क' बाई बाई करि विदा भ जायब।
1 टिप्पणियाँ
मिथिलांचल सॅ पलायन आम बात थीक, परंच पलायन के प्रकृति में धरिया धकेल वृद्धि बहुत दुखद अछि। ऐहि दर्द के वैह व्यक्त कय सकैत अछि जिनका हुनक गरीबी पलायन करय लेल बाध्य करैत छैंन्ह। पहिल बेऱ इलेक्ट्रानिक पत्रकार के निक विषय भेटलैन्ह अछि। पहिल बेर मिथिलांचल के आत्मा के भाव आ पत्रकारक लेखनी में सही ताल मेल देखबा में आयल। हमर आग्रह जे मिथिला आ एकर दुख के बूझु भागू नहि। अहीं सन लोक के मिथिला के जरूरत अछि जे मिथिलांचल के भाव सा दुख हदतक बहिरा प्रशासन आ शासक वर्ग के सुतल सॅ जगायत। हमर शुभकामना
जवाब देंहटाएंमिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।