"मिथिला संस्कार गीत" के अनवरत अभियानक प्रथम चरण सहरसा जिला मे सम्पन्न भेल

सहरसा। 13 सितम्बर। [पारस कुमार झा] मैथिली साहित्यक जड़ि ओकर लोकगीत आ लोक साहित्य अछि। विद्वद समाज हो आ' कि सामान्य वर्ग एखनहुँ मनुक्खक जीवनक सब संस्कार मे मिथिला संस्कार - गीत के प्रयोजन एवम् उपयोगिता एकर स्पष्ट प्रमाण अछि। मैथिली अकादमी पटना, बिहार द्वारा प्रकाशित "मिथिला संस्कार गीत" पोथी मे छपल संस्कार गीतक मिथिलानी दाय-माय द्वारा ध्वनि संरक्षण आ संवर्धन काज भऽ रहल। 
मैथिली अकादमी, पटना(बिहार) के पूर्व निदेशक श्री रघुवीर मोची के अनवरत अभियानक प्रथम चरण सहरसा जिला मे सम्पन्न भेल। श्री शशिधर ठाकुर(सचिव) बुद्धिजीवी विचार मंच, पारस कुमार झा, सुमन खाँ समाज एवम् आनन्दजी के सद्प्रयास सँ बोनगाम मे "सुफल सेवा संस्थान बनगाँव" के कार्यालय परिसर आ शांतिनगर मे, चैनपुर मे, परशरमा मे आओर  उग्रतारा स्थान महिषी के निकट शत्रुघ्न चौधरी के दरवाजा पर सम्पन्न भेल। 
रवि, सोम आ मंगल दिन चलल एहि कार्यक्रम मे माय- बहिन उत्साहपूर्वक भाग लेलनि आओर अप्पन कोकिल कंठ सँ स्वर देलनि। दर्जनों दाय लोकनि पोथी लय मिथिला संस्कार गीतक संरक्षण आ संवर्धनक प्रण लेलनि। एहि कार्यक्रम मे श्री रामदेव झा, विष्णुकान्त मिश्र, रमण कुमार चौधरी, विजय झा, चिन्टू मिश्र, नितेश कुमार मिश्र, राजूजी ,विजय महापात्रा, प्रेमलता झा, सुचिता झा, नूतन देवी, अनिता झा, इन्दिरा देवी के सहयोग सराहनीय रहल। 

जय मिथिला! जय मैथिली!! जय मैथिल!!!

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ