दरअसल, ग्रामीण सभ हुनका कहलनि कि शौचालय बनेबाक लेल हुनका सभ लग पैसा नहि अछि। एहि ओ कहलनि कि लोग अडवांस पैसा के बात करैत छथि, मुदा इंदिरा आवास के तहत जे पैसा देल गेल, कैको लोग ओहि पैसा सँ अपन बेटिक बिआह कएलनि आओर दोसर चीज म' खर्च कएलनि।
एहि क्रम म' ओ आगा कहलनि कि यदि अहाँ लग पैसा नहि अछि तेँ अपन कनियाँ क' बेच शौचालय बनवा लिआ। जिलाधिकारी कहलनि एता के गरीब छथि जे कहता की हुनकर कनियाँ केँ इज्जत 12,000 टाका सँ सस्ता अछि। कियो एहेन नहि हेता जे कहता हमर कनियाँ केँ इज्जत ल' लिआ आओर 12,000 द' दिआ। यदि अहाँ सभक इये मानसिकता अछि तेँ बेच दिआ अपन घरक इज्जत आओर सरकार क' कही दियो जे नहि बना सकैत छी शौचालय।
भ' सकैत अछि कि डीएम केँ इरादा नेक होय मुदा जाहि तरहे ओ गरीब पर ताना कसैत बयान देलनि ओहिक कारण आब हुनकर आलोचना भ' रहल अछि।
0 टिप्पणियाँ
मिथिला दैनिक (पहिने मैथिल आर मिथिला) टीमकेँ अपन रचनात्मक सुझाव आ टीका-टिप्पणीसँ अवगत कराऊ, पाठक लोकनि एहि जालवृत्तकेँ मैथिलीक सभसँ लोकप्रिय आ सर्वग्राह्य जालवृत्तक स्थान पर बैसेने अछि। अहाँ अपन सुझाव संगहि एहि जालवृत्त पर प्रकाशित करबाक लेल अपन रचना ई-पत्र द्वारा mithiladainik@gmail.com पर सेहो पठा सकैत छी।