अदौ सँ कामाख्या सेवक छी।
घर-घर पूजी गोसाऔनि केँ,
मातृ शक्ति केर पूजक छी।।
हे!माय अहींक शरण गाहल
अहीं त' हमर उद्धारक छी।
बिगड़ल उपटल संतान सभक
मात्र अहीं टा,सुधारक छी।।
हे! जग जननी निलाचल वासिनी
अतुल ममता महामाता छी।
खाली हाथ केओ ने लौटए
सभक पूर्ण मनोरथ दाता छी।।
"ललित" केर आश विश्वास अहीं
जीवनक धार संचालक छी।
हम मैथिल मिथिला केर संतान
अदौ सँ कामाख्या सेवक छी।।
ललित कुमार झा,सिरसी/गुवाहाटी
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