दरभंगा। 05 नवम्बर। सूर्योपासना केर महापर्व छठ पूजा के चारि दिवसीय अनुष्ठान कैल्ह शुक्रवार दिन नहाय खाय के संग शुरू भेल। कैल्ह छठ व्रति सभ श्रद्धा व उल्लास केर संग नदि, पोखैर व अप्पन घर म' स्नान करि भगवान भास्कर केँ पूजा-अर्चना केलन्हि। व्रति सभ भगवान के सामना छठ व्रत केँ संकल्प लेलन्हि। संगहि एहि केँ पूरा करबाक आशीर्वाद सेहो मांगलनि। अनुष्ठान केर दोसर दिन आय शनिवार क' सूर्यास्त के बाद व्रती सभ खरना करथिन। कैल्ह रविवार क' अस्ताचलगामी सूर्य क' अर्घ्य देल जायत।
कैल्ह नहाय खाय दिन व्रती सभ भोरे स्नान-ध्यान करि पूजा-अर्चना केलन्हि। छठ व्रत केर संकल्प ल' नव चूल्हा पर पूरापवित्रताक संग भोजन पकेलन्हि। अरवा भात, राहैर - बूट के दाइल, सजमैन, आलू-कोबी आदि केर तरकारी सहित कैको पकवान बनेलन्हि। फेर भोजन ग्रहण करि अनुष्ठान केर शुरुआत केलन्हि। अपने के बता दी नहाय खाय म' सजमैन केँ विशेष महत्व होयबाक कारण सँ हर घर म' ऐहिक एक व्यंजन बनल। ऐहिक बाद व्रती खरना पूजन केर तैयारी म' भीड़ गेलन्हि।
लोक आस्था केर महापर्व छठ अनुष्ठान केँ दोसर दिन आय सूर्यास्त के बाद व्रती लोकनि खरना पूजन करथिन। एहि पूजा म' मैटक नबका चूल्हा पर दूध, गुड़ व साठी के चावल सँ खीर आर गहूमक आटा केँ रोटी के प्रसाद बनाओल जायत। व्रती सभ पूरा दिन उपवास राखी सूर्यास्त के बाद छठी मइया केर पूजा - अर्चना करथिन। मइया क' केरा के पात पर प्रसाद चढ़ाओल जायत। व्रती व परिजन छठी मइया क' प्रणाम करि आशीर्वाद केर लेल कामना करथिन। ऐहिक बाद व्रती अप्पन सगा - संबंधि सभक संग प्रसाद ग्रहण करथिन।
कैल्ह नहाय खाय दिन व्रती सभ भोरे स्नान-ध्यान करि पूजा-अर्चना केलन्हि। छठ व्रत केर संकल्प ल' नव चूल्हा पर पूरापवित्रताक संग भोजन पकेलन्हि। अरवा भात, राहैर - बूट के दाइल, सजमैन, आलू-कोबी आदि केर तरकारी सहित कैको पकवान बनेलन्हि। फेर भोजन ग्रहण करि अनुष्ठान केर शुरुआत केलन्हि। अपने के बता दी नहाय खाय म' सजमैन केँ विशेष महत्व होयबाक कारण सँ हर घर म' ऐहिक एक व्यंजन बनल। ऐहिक बाद व्रती खरना पूजन केर तैयारी म' भीड़ गेलन्हि।
लोक आस्था केर महापर्व छठ अनुष्ठान केँ दोसर दिन आय सूर्यास्त के बाद व्रती लोकनि खरना पूजन करथिन। एहि पूजा म' मैटक नबका चूल्हा पर दूध, गुड़ व साठी के चावल सँ खीर आर गहूमक आटा केँ रोटी के प्रसाद बनाओल जायत। व्रती सभ पूरा दिन उपवास राखी सूर्यास्त के बाद छठी मइया केर पूजा - अर्चना करथिन। मइया क' केरा के पात पर प्रसाद चढ़ाओल जायत। व्रती व परिजन छठी मइया क' प्रणाम करि आशीर्वाद केर लेल कामना करथिन। ऐहिक बाद व्रती अप्पन सगा - संबंधि सभक संग प्रसाद ग्रहण करथिन।
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