
एकटा पूरान फकरा छै, जखन गिदड़के मौत अबै छै तँ ओ शहर दिस भागैत अछि । एहि फकराके आब एना बूझल जेए, जखन कोनो मनुखके बिपैत आबै बला होइ तँ ओ सासुर क भगैए वा सारके पोसैए । सार आ गहुमन साँपमे कोनो फराक नहि । ई दुनू कखन डैस लेत बिधने बुझता । आ जूएस गहुमन भेला मामा । (ई खालि हमर मंतव्य अछि जरूरि नहि जे अहुँ एकरा मानी । मामा अहाँके सार अहाँके जीवन अहाँके मर्ज़ी अहाँकेँ । हम तँ मात्र इतिहास आ अपन मंतव्य शेयर केलहुँ ।
© जगदानंद झा 'मनु'
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