पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण - राजकुमार झा

कृष्णजन्मोत्सवक पावन अवसर पर अनेकानेक शुभकामना।

"न तद्भासयते सूर्यो न शशांको न पावकः।
यद्गत्वा न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम।।"

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव भक्तिमय वातावरण मे आयोजित करब व मनायब एवं श्रीकृष्ण चरित्रक व्यापकता वस्तुतः प्रत्येक समयावधि मे मानव-समाज कें पथ- प्रदर्शक बनि व्यवहारिक जीवन पद्धति कें प्रशस्त करबाक प्रेरणा दैत अछि ।

श्रीकृष्णक जीवन-चरित्र, मानव समाज कें आदर्शक उत्कृष्ट उत्थानक हेतु परिस्थितिक परिपेक्ष्य मे कर्त्तव्य निवर्हनक दायित्व कें सफलतापूर्वक संचालित करबाक नैसर्गिक निर्देशन अछि । एहि बात कें गीता- उपदेशक दरम्यान स्वयं श्री कृष्ण अपन प्रिय सखा अर्जुनक माध्यम सँ मानव समाज कें सदैव जागृत करबाक हेतु आख्यातित कयलनि अछि ।

विपत्ति एवं संकटक समय जीवन कें प्रशस्त करबाक हेतु व्यापक चिंतनक माध्यम सँ, संकुचित मानसिकता सँ मुक्त भऽ चिंतन कें दूरगामी बनेवाक यत्न करब आवश्यकताक अनिवार्यता, समस्त बाधा कें सहजहिं समाप्त करैत अछि । व्यापक चिंतनक आश्रय सँ कोनो प्रकारक परिस्थिति उत्पन्न भेला उपरान्तहुँ हिम्मत एवं धैर्यक संग समस्याक समाधान करबाक प्रेरणा स्वतः जागृत होइत अछि ।

श्रीकृष्ण ऋषिकेश छथि । ऋषक एवं ईश अर्थात् इन्द्रिय कें वश मे रखनिहार स्वयं कृष्ण छथि । श्रीकृष्णक भक्ति करअ वाला प्राणी सदैव बुद्धि पर विजय प्राप्त करैत छथि । सफलता प्राप्त करबाक हेतु स्मृति एवं बुद्धि कें अहंकारमुक्त आ स्वस्थ हयब अनिवार्य अछि ।

श्रीकृष्णक जीवन चरित्र वस्तुतः भक्तिक भव्यताक सर्वश्रेष्ठ भंगिमाक संग- संग अनेकों प्रकारक चरित्र कें यथा - कार्यकुशलता, सर्जनशीलता, सामाजिक उत्तरदायित्व, आंतरिक संतोष एवं परमार्थिकताक श्रेष्ठ व प्रमुदित करबाक दिव्यता थिक ।एहि हेतु श्रीकृष्ण पुरुषोत्तम छथि ।

 सम्पूर्ण अवतार ग्रहण कय धर्म स्थापनार्थ विभिन्न प्रकारक लीलाक माध्यमें समाज सँ आशांतिक पूर्ण उन्मूलनक संदेश प्रसारित कय आवश्यकतानुसार माखन चोरीक दिव्य बाल-लीला, गोपीजनक संग आध्यात्मिक प्रेम कें निरुपित करबाक हेतु रासलीला, सखा भावक प्रगाढ़ताक व्यापकता केर रूप मे सुदामाक संग मित्र-भावक श्रेष्ठ मित्रताक अनुकरणीय एवं अलौकिक सखा-भाव एवं आवश्यकताक अनुरुप कुरुक्षेत्रक धर्मयुद्ध मे धर्म रक्षार्थ सुदर्शनधारी बनि, सम्पूर्ण मर्यादाक संबर्द्धन हेतु कर्त्तव्यक निवर्हन करैत कौशलपूर्ण व्यवहार वस्तुतः प्रभुक अन्य अवतार मे संभव नहि अछि । एहि हेतु श्रीकृष्ण पूर्ण अवतार महापुरुष छथि ।  इत्यलम् । जय श्री हरि।

राजकुमार झा

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